भोपाल। दो-तीन दिसंबर 1984.. यह वह दिन है जिसके दर्द भोपाल आज भी नहीं भूल पाया है। जब सब सो रहे थे तभी भोपाल का एक बड़े इलाके में मौत ने हर घर का दरवाजा खटखटाया था लाशों के ढेर बिछ गए। लाशें ढोने के लिए गाड़ियां छोटी पड़ गईं तो अस्पताल में कफन कम पड़ गए। यह हुआ था यूनियन कार्बाइड फैक्टरी के प्लांट नंबर सी के टैंक नंबर 610 से रिसी मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के कारण।
भोपाल गैस त्रासदी के 36 साल हो गए हैं। हर साल घटना की वर्षी पर लोगों की यादें ताजा हो जाती हैं। आज भी प्रभावित इलाकों में जहरीली गैस का असर है। गैस पीड़ित लोगों की दूसरी और तीसरी पीढ़ी किसी न किसी बीमारी की चपेट में है। ज्यादातर बच्चे आज भी मानसिक रूप से विकलांग पैदा लेते हैं। कोरोना संक्रमण के दौरान भी बहुत सारे गैस पीड़ित काल की गाल में समा गए हैं। बहुत सारे लोग थॉयराइड से भी पीड़ित हैं।
आज भी रात को याद कर सिहर उठते हैं
पुराने लोग आज भी वह मंजर भूले नहीं हैं। जो इसकी पीड़ा झेल रहे हैं वे कई बार उस रात को याद कर सिहर उठते हैं। साल 1984 में 2 और 3 दिसंबर की दरमियानी रात भोपाल स्थित अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड के प्लांट के टैंक नंबर 610 से जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव होता है। गैस का रिसाव उस वक्त हुआ था, जब पूरा भोपाल शहर गहरी नींद की आगोश में था। गैस की गंध से बेखबर भोपाल के लोग सर्द रात में रजाई के अंदर दुबके थे। लेकिन इससे वह बिलकुल अंजान थे कि यह उनकी आखिरी रात होगी। शोर से जब लोगों की नींद खुली तब सभी लोग भोपाल की हवा में तैरती मौत से लड़ने की कोशिश कर रहे थे। तब तक भोपाल की हवा इतनी जहरीली हो गई थी कि 15 हजार से ज्यादा लोग जिंदगी की जंग हार गए थे।सदी के सबसे भयानक औद्योगिक त्रासदी में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 25 हजार लोगों की मौत हुई थी। लेकिन लोग बताते हैं कि यह आंकडा वास्तविकता से बहुत कम है। भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ित आज भी जिंदगी से जंग लड़ रहे हैं। वहीं, अपनों को खोने वाले मुआवजे के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि रात 10 बजे के बाद फैक्ट्री में गैस का रिसाव शुरू हुआ था। 11 बजे के बाद लोगों को एहसास शुरू हो गया था।यूनियन कार्बाइड कंपनी से मिथाइल आइसो साइनाइट गैस लीक हुई थी। भोपाल गैस त्रासदी में करीब 5 लाख लोग प्रभावित हुए थे। स्थानीय लोग आज भी बताते हैं कि 1 घंटे के अंदर ही हजारों लोगों की मौत हो गई थी। रात को सोए लोग अगले दिन की सुबह नहीं देख पाए। चारों तरफ सिर्फ चीख-पुकार मची हुई थी।
संघर्ष आज भी जारी
आज भी भोपाल गैस त्रासदी की चपेट में आए लोगों का दर्द कम नहीं हुआ है। पीड़ितों को आज तक सही मुआवजा नहीं मिला है, इन्हें उचित मुआवजा दिलाने के लिए कई संगठन संघर्ष कर रहे हैं। भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों के लिए बने अस्पताल में इनका इलाज भी सही से नहीं होता है। भोपाल गैस कांड के मृतकों को कंपनी ने 10 लाख रुपए मुआवजा का वादा किया था। कई लोगों को मिला है, तो कई आज भी कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।