रायपुर। स्वास्थ्य विभाग जिला कांकेर के शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र श्रीरामनगर से जुड़ा एक मामला सामने आया है, जिसके अनुसार वहां कार्यरत ज्यादातर कर्मचारियों के ईपीएफ अकाउंट से ज्यादातर राशि गायब है एवं संबंधित अधिकारियों / कर्मचारियों के पास इस संबंध में कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं है। ईपीएफ में कर्मचारियों के वेतन से कुछ प्रतिशत काटकर एवं सरकार के द्वारा भी कुछ प्रतिशत उक्त अकाउंट में प्रतिमाह जमा किया जाता है, जिससे कर्मचारि अपनी भविष्य की सुरक्षा कर सकते हैं। लेकिन सामने आये मामले के अनुसार कई कर्मचारियों के खातों से पैसे तो काट लिये गये हैं लेकिन वो उनके ईपीएफ अकॉंउंट में जमा ना होकर कहीं और चले गए। कुछ कर्मचारियों के 36 महीने के कार्यकाल में 14 महीनें की राशि गायब है यही हाल मसलन सभी कर्मचारियों। के खातों का हैं। संबंधित कर्मचारियों ने कई बार संबंधित अधिकारयों से उक्त मामले हेतु गुहार लगाई, लेकिन कभी भी संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। आखिरकार थकहारकर कर्मचारियों ने जिला अकाउंट मैनेजर को लिखित में शिकायत सौंप दी । शिकायत में कर्मचारियों का कहना हैं कि हम संविदा कर्मचारी हैं एवं बेहद उल्प वेतनमान पर अपने और अपने पूरे परिवार का भरणपोषण करतें हैं एवं भविष्य हेतु बचत कर पाना हमारे लिए संभव नहीं हैं, कुल मिलाकर ईपीएफ की जमा राशि ही हमारें भविष्य नियोजन में हमें थोड़ी बहुत सहायता करेंगी। परंतु इस तरह खातों से राशि का गायब हो जाना हम सबके लिए बेहद निराश कर देने वाला है। कर्मचारियों के द्वारा प्रत्येक संबंधित अधिकारी से सहायता मांगने पर सभी के द्वारा नकारा जाना या गोलमोल जवाब देना प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है। अगर वेतन से राशि काटी गई है तो वह कर्मचारियों के ईपीएफ अकांउट में जमा क्यों नहीं हुई।
इतने साल तक जिम्मेदार अधिकारी ने नहीं दिया ध्यान
अगर किसी अन्य खातों में राशि जमा की गई है तो यह प्रक्रिया कई अधिकारियों के हस्ताक्षर के बाद ही हो सकती है तो इतनें वर्षों तक इस बड़ी गड़बड़ी पर किसी भी जिम्मेदार अधिकारी की नजर क्यों नहीं पड़ी, और सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतनें बार मौखिक रूप से शिकायत करनें के बाद भी किसी ने इसे सुधारनें का प्रयत्न क्यों नहीं किया। प्रथमद्ष्टया तो यह किसी घोटाले की ओर इशारा करता है जिसकी गहन जांंच होनी आवश्यक है। एक सामान्य बैंकिग प्रकिया में भी अपने खाते में पैसे जमा करने या आहरण करने हेतु एक निश्चित प्रकिया का पालन करना होता है फिर यह सवाल तो पूछा ही जाना चाहिए कि कैसे कर्मचारियों के वेतन से ईपीएफ की राशि काटी तो गई लेकिन उनके ईपीएफ खातों में जमा नही की गई।