छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के पहले चरण की 20 सीटों का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। इस चरण में बस्तर की 12 सीटों के अलावा कवर्धा, राजनांदगांव, पंडरिया, डोंगरगढ़, डोंगरगांव, मोहला मानपुर, खुज्जी और खैरागढ़ की 8 सीटों पर 10 दिनों बाद 5 नवंबर को प्रचार बंद हो जाएंगे। 7 नवंबर को मतदान होना है। 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने बस्तर की 12 में से 11 सीटें जीती थी, जबकि शेष 8 आठ सीटों में से 6 पर कांग्रेस ने ही परचम लहराया था। केवल 1 सीट बीजेपी और 1 सीट जेसीसीजे जीत सकी थी। बाद में बस्तर की दंतेवाडा और खैरागढ़ सीट पर हुए उपचुनाव में दोनों पर कांग्रेस का कब्जा हो गया। इस समय कांग्रेस पास पहले चरण की 20 में से 19 सीटें है। अब कांग्रेस के समक्ष पिछला प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है तो बीजेपी सत्ता वापसी के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए है।
2018 के विधानसभा चुनाव में बस्तर संभाग की 12 सीटों पर कांग्रेस का वोट शेयर 49.2 प्रतिशत रहा, जबकि बीजेपी 32.2 प्रतिशत वोट शेयर के साथ दूसरे नंबर रही। हालांकि बस्तर में आम आदमी पार्टी, आईएनडी, बसपा, जेसीसीजे, जीजीपी ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। आम आदमी पार्टी को 3.15 प्रतिशत, बसपा को 3.03 प्रतिशत, जेसीसीजे को 3 प्रतिशत, जीजीपी को 2 प्रतिशत और निर्दलियों को 2.59 प्रतिशत वोट मिले थे। इसके अलावा अन्य ने भी 5.79 प्रतिशत वोट हासिल किया था। इस तरह बस्तर संभाग में कुल 19.51 प्रतिशत वोट छोटे-छोटे दलों के खाते में चल गए। महत्वपूर्ण बात यह है कि बस्तर में बीजेपी को कांग्रेस से 17 प्रतिशत वोट कम मिले, जबकि छोटे दल 19.51 प्रतिशत वोट बटोर गए।
पहले चरण में बस्तर से बाहर जिन 8 सीटों कवर्धा, राजनांदगांव, पंडरिया, डोंगरगढ़, डोंगरगांव, मोहला मानपुर, खुज्जी और खैरागढ़ पर मतदान होना है, उन पर 2018 में कांग्रेस को 45.33 प्रतिशत और बीजेपी को 34.82 प्रतिशत मिला था। इन सीटों पर भी आम आदमी पार्टी, बसपा, जेसीसीजे, जीजीपी और निर्दलियों की भी मौजूदगी रही। इन सीटों पर जेसीसीजे ने 9.2 प्रतिशत, बसपा ने 6.7 प्रतिशत, निर्दलियों ने 3.41 प्रतिशत, जीजीपी ने 1.2 प्रतिशत और अन्य ने 1.1 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। ये छोटे दल कुल 21.6 प्रतिशत वोट पाने में सफल रहे। इन 8 सीटों पर बीजेपी को 8.51 प्रतिशत वोट कांग्रेस कम मिले। इसके विपरीत छोटे दल 21.6 प्रतिशत ले गए।
छत्तीसगढ़ में पहले चरण में भले ही मात्र 20 सीटों पर मतदान होना है, लेकिन प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टियां कांग्रेस और बीजेपी की प्रतिष्ठा दांव पर है। बीजेपी जहां 2018 के चुनाव में कम हुए वोट शेयर को पाट कर अधिक से अधिक सीटें पाना चाहेगी, वहीं कांगेस को अपना वोट प्रतिशत और सीटें बचाने की चुनौती होगी। कांग्रेस-बीजेपी बीच छोटे दल क्या भूमिका अदा करेंगे? यह देखना भी दिलचस्प होगा, क्योंकि दोनों दलों के बीच वोट प्रतिशत के अंतर से अधिक छोटे दलों के खाते में चले गए थे।