अगले पांच वर्षों में अपने दायरे को बढ़ाकर दोगुना करने के लिए बीमा क्षेत्र को प्रत्येक वर्ष 50 हजार करोड़ रुपये की पूंजी की आवश्यकता होगी। बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के चेयरमैन देबाशीष पांडा ने शुक्रवार को उद्योग संगठन सीसीआई के वार्षिक बीमा एवं पेंश्ान सम्मेलन में कारोबारी घरानों से इस क्षेत्र में निवेश की अपील की।
पांडा ने कहा कि जीवन बीमा क्षेत्र में 14 प्रतिशत का रिटर्न बना हुआ है जबकि गैर-जीवन बीमा क्षेत्र में यह 16 प्रतिशत है। शीर्ष पांच कंपनियों के मामले में रिटर्न 20 प्रतिशत तक बना हुआ है। उन्होंने कहा कि बीमा क्षेत्र काफी प्रतिस्पर्धी है। इस क्षेत्र में करीब दो दर्जन जीवन बीमा और 30 से ज्यादा गैर-जीवन बीमा कारोबार करने वाली कंपनियां हैं। वित्त वर्ष 2021 में बीमा के कुल दायरा 4.2 प्रतिशत रहा है।
पांडा ने कहा कि प्रस्तावित निवेश का आंकड़ा जीडीपी की मौजूदा वृद्धि दर, महंगाई और बीमा दायरे के विश्लेषण के बाद तैयार किया है। पांडा के कहा कि मार्च के बाद वह बीमा कंपनियों के प्रमुखों से मुलाकात कर इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए रणनीति पर चर्चा करेंगे। इरडा ने 2047 तक सभी को बीमा के दायरे में लाने का लक्ष्य रखा है। पांडा ने कहा कि भारत इस समय दुनिया का 10वां सबसे बड़ा बीमा बाजार है और 2032 तक यह छठा सबसे बड़ा बाजार होगा।
संपत्ति बीमा को अनिवार्य बनाएं आवासीय नियामक
पांड ने कहा कि अभी देश में पारंपरिक और पुराने बीमा उत्पाद पेश किए जा रहे हैं। हमें सुरक्षा की जरूरतों के अनुसार नए उत्पादों की आवश्यकता है। उन्होंने बीमा कंपनियों से कहा कि वे आवासीय नियामकों के पास जाएं और संपत्ति बीमा को अनिवार्य बनाने के लिए आग्रह करें। साथ ही केंद्रीय आवास मंत्रालय को संपत्ति बीमा की आवश्यकता के बारे में जानकारी दें। उन्होंने बीमा कंपनियों से मौजूदा अधिकारियों से अलग शिकायत समाधान सेल बनाने का भी आग्रह किया।