पारिस्थितिकी तंत्र की बेहतरी और जलवायु परिवर्तन की समस्याओं से बचाव के लिए आर्द्रभूमि का संरक्षण जरूरी
वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने ग्रीन क्लब और कलिंगा विश्वविद्यालय के सहयोग से जन-जागरूकता कार्यक्रम आयोजित
रायपुर, -पारिस्थितिकी तंत्र की बेहतरी और जलवायु परिवर्तन की समस्याओं से बचाव के लिए आर्द्रभूमि (वेटलैण्ड) के संरक्षण और लोगों में इसके प्रति जागरूकता की महती आवश्यकता है। इसे देखते हुए 02 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस के अवसर पर वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के महासमुंद वन प्रभाग ने ग्रीन क्लब और कलिंगा विश्वविद्यालय, नया रायपुर के सहयोग से वन चेतना केन्द्र, कोडर बांध, पटवा, महासमुंद में जन-जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विश्व विद्यालय और स्कूली छात्रों ने सफाई अभियान चलाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश लोगों को दिया। उन्होंने लगभग 285 किलोग्राम कचरा एकत्र कर उचित निपटान के लिए नगर पालिका में जमा किया।उल्लेखनीय है कि आर्द्रभूमि के संरक्षण की आवश्यकता के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल 02 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस मनाया जाता है। आर्द्रभूमि में झीलों, दलदलों, मैंग्रोव, नमक पैन, ज्वारीय फ्लैट और जलाशयों जैसे प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों स्थल शामिल हैं। इस वर्ष के विश्व आर्द्रभूमि दिवस का विषय ’आर्द्रभूमि बहाली’ है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आर्द्रभूमि ठीक से काम कर सके और पर्यावरणीय स्थिरता को बनाए रखा जा सके। वेटलैण्ड (आर्द्रभूमि) को पारिस्थितिकीय तथा स्वस्थ्य पर्यावरण के लिए बहुत उपयुक्त माना जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश पर वेटलैण्डों के विकास के लिए चरणबद्ध तरीके से कार्ययोजना बनाई जा रही है। छत्तीसगढ़ में कुल 35 हजार 534 वेटलैण्ड हैं। वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर के कुशल मार्गदर्शन में इन वेटलैण्डों में आने वाले प्रवासी, स्थानीय पक्षियों के रहवास विकास को देखते हुए छत्तीसगढ़ के 27 वेटलैण्ड में सर्वे कराया जा रहा है।