दिल्ली के साकेत कोर्ट ने नर्मदा बचाओ आंदोलन कार्यकर्ता मेधा पाटकर को मानहानि के एक मामले में पांच महीने की कारावास और 10 लाख रुपये का मुआवजा की सजा सुनाई है। यह सजा उन्हें तत्कालीन केवीआईसी अध्यक्ष वीके सक्सेना (अब दिल्ली के उपराज्यपाल) द्वारा दायर मानहानि मामले में सुनाई गई है।
मेधा पाटकर पर आरोप था कि उन्होंने उपराज्यपाल के खिलाफ प्रेस रिलीज जारी की और इससे जनता के बीच उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया। अदालत के फैसले के बाद मेधा पाटकर ने कहा कि सत्य को कभी पराजित नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, ‘हमने किसी की मानहानि का प्रयास नहीं किया। हम सिर्फ काम करते हैं। इस फैसले को हम ऊपरी अदालत में चुनौती देंगे।’
मेधा पाटकर ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ से जुड़ी रही हैं। इससे पहले अदालत ने 7 जून को हुई सुनवाई में मेधा पाटकर को दोषी करार दिया था और सजा सुनाने के लिए 1 जुलाई की तारीख तय की थी। इससे पहले अदालत ने कहा था कि सक्सेना को ‘देशभक्त नहीं, बल्कि कायर कहने वाला और हवाला लेनदेन में उनकी संलिप्तता का आरोप लगाने वाला पाटकर का बयान न केवल अपने आप में मानहानि के समान है, बल्कि इसे नकारात्मक धारणा को उकसाने के लिए गढ़ा गया था।’