नई दिल्ली। दुनियाभर में कोरोना वायरस से अब तक नौ करोड़ दो लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि 19 लाख 37 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। वैसे तो भारत में भी संक्रमण के मामले एक करोड़ से ऊपर हो चुके हैं, लेकिन सबसे बड़ी बात है कि यहां लोग काफी तेजी से ठीक भी हो रहे हैं। इस वजह से देश में कोविड-19 से स्वस्थ होने की दर अब 96.42 फीसदी हो गई है। जल्द ही यहां टीकाकरण भी शुरू होने वाला है। ऐसे में यह जरूरी है कि हम वैक्सीन से जुड़ी कुछ बातों को जान लें, ताकि कोई भ्रम न रहे और आगे चलकर कोई दिक्कत न हो। आइए विशेषज्ञ से जानते हैं कुछ जरूरी सवालों के जवाब। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के. श्रीनाथ रेड्डी कहते हैं, हमारे देश ने टेस्टिंग के मामले में कीर्तिमान स्थापित किया है। अब तक 18 करोड़ लोगों का कोरोना टेस्ट किया जा चुका है। दरअसल किसी भी बीमारी, खासकर अगर तेजी से फैलने वाली बीमारी हो, तो उसकी पहचान जल्द से जल्द करना जरूरी होता है, ताकि संक्रमण का फैलाव नहीं हो। इससे बीमारी की पहचान करना भी आसान हो जाता है। पॉजिटिव निकलने पर कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग करना आसान हो जाता है।
वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल में क्या-क्या देखा जाता है?
डॉ. के. श्रीनाथ रेड्डी कहते हैं, सबसे पहले यह देखा जाता है कि वैक्सीन कितनी सुरक्षित है। दूसरे फेज में देखा जाता है कि वैक्सीन देने के बाद वॉलेंटियर्स के शरीर में कितनी मात्रा में एंटीबॉडी विकसित हो रहे हैं। तीसरा चरण सबसे महत्वपूर्ण होता है, जिसमें हजारों की संख्या में लोगों को वैक्सीन दी जाती है और सेफ्टी के साथ-साथ यह देखा जाता है कि जिन लोगों को वैक्सीन नहीं दी गई है, उनके मुकाबले वॉलेंटियर्स कितने अधिक सुरक्षित हैं। हजारों लोगों पर चेक किया जाता है कि वैक्सीन सुरक्षित है कि नहीं।
वैक्सीन लगवाने के बाद अगर बुखार आए या एलर्जी हो तो क्या करें?
डॉ. के. श्रीनाथ रेड्डी कहते हैं, वैक्सीन लगवाने पर अगर बुखार आए तो आप पैरासिटामॉल ले सकते हैं। अगर एलर्जी होती है, तो नजदीकी डॉक्टर को दिखाएं। एलर्जी के कई रूप होते हैं, इसलिए समय पर इलाज जरूरी है। लेकिन चिंता करने की बात नहीं है। अगर एलर्जी होती है, तो 10-15 मिनट में पता चलने लगता है।
वैक्सीन देने के दो या तीन हफ्ते में एंटीबॉडी बनने शुरू हो जाएंगे
डॉ. के. श्रीनाथ रेड्डी बताते हैं, वैक्सीन के दो डोज दिए जाएंगे, जिनके बीच चार हफ्ते का अंतर है। पहली डोज के दो या तीन हफ्ते में एंटीबॉडी बनने शुरू हो जाएंगे। पहले इंजेक्शन से हमारे शरीर में वायरस के खिलाफ प्राइमिंग होती है। इस दौरान पूरी इम्यूनिटी जोर नहीं पकड़ पाती है। दूसरे इंजेक्शन को बूस्टर डोज कहते हैं। उसके दो हफ्ते के भीतर एंटीबॉडी अच्छी मात्रा में बन जाते हैं। यानी तब आपका शरीर पूरी तरह तैयार होता है वायरस से लडऩे के लिए।