आज है गुरु तेग बहादुर बलिदान दिवस, जानते हैं क्यों कहा जाता हैं उन्हें ‘हिन्द की चादर’

पूनम ऋतु सेन। आज 24 नवम्बर को गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस मनाया जा रहा है, गुरु तेग बहादुर सिक्खों के नौवें गुरु हैं। इतिहास में धर्म, सिद्धांत और मानवता की रक्षा के लिए निस्वार्थ बलिदान के कारण उनकी पुण्यतिथि को शहादत दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन के पीछे की कहानी  पराक्रम भरी तथा दिल दहला देने वाली है। बताया जाता हैं कि औरंगजेब ने इस्लाम स्वीकार न करने पर गुरु तेग बहादुर का सिर कटवा दिया था। इसी साल उनका 400वां प्रकाश पर्व मनाया गया।

आइये जानते हैं गुरु तेग बहादुर और उनके शहादत के बारे में-

• श्री गुरु तेग बहादुर का जन्म वैसाख कृष्ण पंचमी
(1 अप्रैल 1621) को पंजाब के अमृतसर मुगल सल्तनत में हुआ वह सिक्खों के छठे गुरु, गुरु हरगोविंद की 6 संतानों में से एक थे, उनका असली नाम ‘त्यागमल’ था और उनकी माता का नाम ‘माता नानकी था।

•  जब उनका जन्म हुआ तब अमृतसर सिक्खों के आस्था का केंद्र था, गुरु तेग बहादुर को सिख संस्कृति में तीरंदाजी और घुड़सवारी में प्रशिक्षित किया गया। उन्हें वेदों उपनिषदों और पुराण भी पढ़ाए गए।

• श्री गुरू तेग बहादुर का विवाह 3 फरवरी 1633 को ‘माता गुजरी के साथ हुआ। जिनसे उन्हें एक पुत्र श्री गुरु गोविंद राय ( सिंह जी) की प्राप्ति हुई जो बाद में सिक्खों के 10वें गुरु बने।

• 1644 में उनके पिता गुरु हरगोबिंद की मृत्यु नजदीक आने पर गुरु हरगोबिंद अपनी पत्नी नानकी के साथ उनके पैतृक गांव बकाला, अमृतसर (पंजाब) में चले गए, साथ ही गुरु तेग उनकी पत्नी माता गुजरी भी गए।

Read Also  एक बंदर बदला लेने को 22 KM दूर से लौट आया, वह डर से एक सप्ताह घर में रहा बंद

• बहादुर और गुरु हरगोविंद जी की मृत्यु के बाद गुरु तेग बहादुर अपनी पत्नी और मां के साथ बकाला में ही रहते रहे, वह हमेशा से ही लंबे समय तक एकांत और चिंतन के मंत्र को प्राथमिकता देते थे और शुरू से ही वैरागी जैसा जीवन जीते थे लेकिन वह बैरागी नहीं थे। उन्होंने अपनी परिवारिक जिम्मेदारियों में हिस्सा लिया और बकाला के बाहर का भी दौरा किया। तथा आनंदपुर साहिब नामक नगर बसाया और वहीं रहने लगे।

क्यों कहलाते हैं ये ‘हिंद दी चादर’

• गुरु तेग बहादुर की मुगल बादशाह औरंगजेब से सांघातिक विरोध की शुरुआत कश्मीरी पंडितों को लेकर हुई। कश्मीरी पंडित मुगलों द्वारा जबरदस्ती धर्मपरिवर्तन (हिन्दू से मुस्लिम बनाए जाने) के जुल्म सह रहे थे। सैकड़ों कश्मीरी पंडितों का जत्था पंडित कृपा राम के साथ आनंदपुर साहिब पहुँचा और गुरु तेग बहादुर से अपनी रक्षा की गुहार लगाई।

• गुरु तेग बहादुर जी ने कहा कि धर्म की रक्षा के लिए किसी ऐसे व्यक्ति को बलिदान देना होगा जिसके बलिदान से लोगों की आत्मा जाग जाएं, क्योंकि तभी गुलामी और भय से ग्रस्त ये लोग जाग सकेंगे और अपनी कायरता और डर को भुलाकर अपने धर्म की रक्षा के लिए हँसते-हँसते मौत को गले लगा सकेंगे।

• औरंगजेब के हिन्दूओं पर किए जा रहे अत्याचारों और अपने पिता की बात सुन गुरु जी के नौ वर्षीय पुत्र ( गुरु गोविंदसिंह) ने कहा कि उनकी नज़र में इस काम के लिए आपसे बेहतर कोई और नहीं हो सकता।

• गुरु तेग बहादुर जी ने कश्मीरी पंडितों पर धर्म परिवर्तन के लिए हो रहे औरंगजेब के जुल्मों और हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान देने का निर्णय लिया। और औरंगजेब तक यह संदेशा पहुंचाने हो कहा कि यदि गुरु तेगबहादुर जी इस्लाम कबूल लेंगे तो वे सब भी इस्लाम स्वीकार लेंगे।

Read Also  विश्व संयुक्त परिवार दिवस: तीन पीढ़ी एक साईकिल पर

• जुलाई 1675 में गुरु तेग बहादुर अपने तीन अन्य शिष्यों के साथ अपने हत्यारे के पास स्वंय चलकर पहुंचे। इतिहासकारों की माने तो गुरु तेग बहादुर को औरंगजेब की फौज ने गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद उन्हें करीब तीन-चार महीने तक कैद कर रखा गया और बाद में पिंजड़े में बंद कर 04 नवंबर 1675 को मुगल सल्तनत की राजधानी दिल्ली लाया गया।

• औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर से इस्लाम स्वीकार करने को कहा, तो गुरु साहब ने जवाब दियाः
       “शीष कटा सकते है केश नहीं।”

• उन्हें डराने के लिए उनके साथ गिरफ्तार किए गए भाई मति दास के शरीर को आरे से जिन्दा चीर दिया गया, भाई दयाल दास को खौलते हुए पानी में उबाल दिया गया और भाई सति दास को कपास में लपेटकर जिंदा जलवा दिया गया।

• इसके बावजूद उन्होंने जब इस्लाम स्वीकार नहीं किया तो आठ दिनों तक यातनाएं देने के बाद मुगल बादशाह औरंगजेब ने दिल्ली के चांदनी चौक पर भीड़ के सामने गुरु तेग बहादुर जी का सर कटवा दिया था।

• मुगल बादशाह ने जिस जगह पर गुरु तेग बहादुर का सिर कटवाया था दिल्ली में उसी जगह पर आज शीशगंज गुरुद्वारा स्थित है।

• गुरुद्वारा शीश गंज साहिब तथा गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब उन स्थानों की याद दिलाते हैं जहाँ गुरुजी की हत्या की गयी तथा जहाँ उनका अन्तिम संस्कार किया गया।

• गुरू जी ने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए, इसलिए उन्हें ‘हिंद की चादर’ (भारत की ढाल) कहा जाता है।

Read Also  पाकिस्तान पर मंडराया जल संकट : भारत ने लिया बड़ा फैसला, पड़ोसी मुल्क को भेजा नोटिस

• मात्र 14 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ “करतारपुर की जंग” में मुगल सेना के खिलाफ अतुलनीय पराक्रम दिखाने के बाद उन्हें तेग बहादुर (तलवार के धनी) नाम मिला।

•  सिखों के 8वें गुरु हरिकृष्ण राय जी की अकाल मृत्यु के बाद 16 अप्रैल 1664 को श्री गुरु तेगबहादुर सिखों को नौवें गुरु बने थे।

•  अपनी शहादत से पहले गुरु तेग बहादुर ने 8 जुलाई 1975 को गुरु गोविंद सिंह को सिखों का दसवां गुरु नियुक्त कर दिया था। सिक्खों की पवित्र पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब में उनके द्वारा लिखें गए 115 शब्द शामिल हैं।

Share The News




CLICK BELOW to get latest news on Whatsapp or Telegram.

 


PM मोदी का छत्तीसगढ़ दौरा,तीन दिन दो रात गुजारेंगे छत्तीसगढ़ में,डीजी कॉन्फ्रेंस में होने शामिल

By User 6 / October 1, 2025 / 0 Comments
रायपुर/ छत्तीसगढ़ में पहली बार डीजी कॉन्फ्रेंस होने का रहा है। इस कॉन्फ्रेंस में देश भर के डीजीपी शामिल होने और नई योजनाओं के होने वाली प्रैक्टिसेज पर चर्चा होगी। इस कार्यक्रम को लेकर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री व गृह...

Breaking News: कैबिनेट बैठक में सरकारी कर्मचारियों और दिव्यांगजनों पर बड़े फैसले

By User 6 / September 30, 2025 / 0 Comments
तारीख: 30 सितम्बर 2025 | स्थान: रायपुरछत्तीसगढ़ मंत्रिपरिषद की बैठक मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में मंत्रालय महानदी भवन में आयोजित हुई। इस बैठक में सरकारी कर्मचारियों, दिव्यांगजनों और शिक्षा व्यवस्था से जुड़े कई अहम फैसले लिए गए।  ...

छत्तीसगढ़ की तीन यूनिवर्सिटी भी यूजीसी डिफॉल्टर सूची में

By User 6 / October 2, 2025 / 0 Comments
नई दिल्ली।विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने देशभर की 54 निजी राज्य विश्वविद्यालयों को डिफॉल्टर घोषित किया है। इनमें से तीन यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़ की हैं। आयोग के मुताबिक, इन संस्थानों ने अनिवार्य जानकारी समय पर जमा नहीं की और न ही...

नवरात्रि पर रायपुर को बड़ी सौगात, 117 करोड़ से तीन ओव्हरपास

By User 6 / September 30, 2025 / 0 Comments
रायपुर, 29 सितम्बर 2025। राजधानी रायपुर के लोगों के लिए बड़ी सौगात मिली है। उप मुख्यमंत्री एवं लोक निर्माण मंत्री अरुण साव ने रिंग रोड क्रमांक-2 के हीरापुर चौक (गणपत चौक) में 117 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से...

रायपुर में होटल, क्लब और रेस्टोरेंट अब रात 12 बजे ही हो जाएंगे बंद

By Reporter 1 / September 28, 2025 / 0 Comments
रायपुर शहर के तेलीबांधा इलाके में स्थित होटल, बार, क्लब, पब और रेस्टोरेंट अब रात 12 बजे के बाद पूरी तरह बंद रहेंगे। प्रशासन ने शनिवार को सभी संचालकों को नोटिस जारी कर यह स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि निर्धारित समय...

गुरु गोविंद सिंह शाखा के स्वयंसेवकों ने मनाई विजयदशमी

By User 6 / October 2, 2025 / 0 Comments
रायपुर। विजयदशमी के अवसर पर 2 अक्टूबर को सियान सदन टाटीबंध, रायपुर में गुरु गोविंद सिंह प्रभात शाखा के स्वयंसेवकों द्वारा भव्य शस्त्र पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।   इस मौके पर समाजसेवी ईश्वर दयाल अग्रवाल, भारतीय सेना से...

गृह निर्माण मंडल संपत्तियां फ्री-होल्ड, हजारों आवंटियों को मिलेगा लाभ

By User 6 / October 1, 2025 / 0 Comments
रायपुर।छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेशवासियों को बड़ी राहत देते हुए गृह निर्माण मंडल की सभी योजनाओं की संपत्तियों को फ्री-होल्ड करने का रास्ता साफ कर दिया है। अब हितग्राहियों को जटिल लैण्ड डाइवर्सन प्रक्रिया और अतिरिक्त शुल्क से छुटकारा मिलेगा।  ...

मुर्गे को मारने के लिए चलाई गोली, निशाना चूका और चली गई सो रहे पड़ोसी की जान

By Reporter 1 / September 28, 2025 / 0 Comments
तमिलनाडु के कल्लाकुरिची जिले से एक बेहद अजीब और दुखद घटना सामने आई है, जहां एक शख्स ने मुर्गे पर गोली चलाई, लेकिन निशाना चूकने से गोली पड़ोस के घर में सो रहे एक युवक को जा लगी, जिससे उसकी...

126वीं मन की बात: तिरंगा लहराकर बेटियों ने बढ़ाया मान

By User 6 / September 28, 2025 / 0 Comments
रायपुर, 28 सितंबर 2025।मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राजधानी रायपुर के शंकर नगर स्थित सिंधु पैलेस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम की 126वीं कड़ी का श्रवण किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि ‘मन की बात’...

20 या 21 अक्टूबर इस साल कब है दिवाली ? यहां देखें क्या है इसकी सही तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त

By User 6 / September 30, 2025 / 0 Comments
Diwali 2025: देशभर में दिवाली का त्योहार बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। हर साल कार्तिक माह की अमावस्या पर दिवाली का त्योहरा मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घर में दीए जलाकर और रंगोली बनाकर मां...

Leave a Comment