ईंट भट्ठा कारोबारी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) के बिना छह प्रतिशत जीएसटी देने से जुड़ी एक कंपोजीशन स्कीम को चुन सकते हैं। जो कारोबारी कंपोजीशन योजना का विकल्प नहीं चुनना चाहते हैं, उन पर आइटीसी के साथ 12 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। विशेषज्ञों के मुताबिक जीएसटी बढ़ने से हर तरह की ईंट महंगी हो जाएगी और इसका असर उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा। बता दें कि अब तक ईंटों के निर्माण और व्यापार पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगता था और व्यापारियों को इनपुट पर क्रेडिट का दावा करने की छूट थी।
सरकार ने 31 मार्च को जीएसटी दरों को अधिसूचित किया है और यह एक अप्रैल से लागू हो गई है। अधिसूचना के अनुसार ईंट, टाइल्स, फ्लाई एश ईंट और जीवाश्म ईंट बनाने वाले कारोबारी कंपोजीशन स्कीम का विकल्प चुन सकते हैं। जीएसटी परिषद ने पिछले साल सितंबर में ईंट भट्ठों को एक अप्रैल 2022 से विशेष कंपोजीशन स्कीम के तहत लाने का फैसला किया था। एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि भारत में पहले ही महंगाई चरम पर है और ऐसे में जरूरी बुनियादी ढांचा क्षेत्र की वस्तुओं की कर दरों में वृद्धि से आवास और बुनियादी ढांचा क्षेत्र प्रभावित होगा। उन्होंने कहा, ‘रियल एस्टेट डेवलपर्स को आइटीसी का लाभ लेने की छूट नहीं है। ऐसे में ईंटों के निर्माण्ा में जीएसटी दर बढ़ाने से आवासीय क्षेत्र पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। अंतत: इस बढ़ी हुई कीमत उपभोक्ताओं को ही चुकानी होगी।”