उत्तर प्रदेश में बीटेक प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को इस सत्र से तकनीकी विषय को अंग्रेजी के साथ हिंदी में भी पढ़ने का मौका मिलेगा। डा. एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय (एकेटीयू) और संबद्ध तकनीकी कालेजों में विद्यार्थियों को तकनीकी विषयों की हिंदी में लिखी पुस्तकें भी उपलब्ध कराई जा रही है। एकेटीयू तकनीकी विषयों पर पुस्तकें हिंदी में लिखने के लिए अपने शिक्षकों को दो लाख रुपये की ग्रांट भी दे रहा है। इसके लिए सभी कालेजों के शिक्षकों से अपेक्षा की गई है कि सत्र शुरू होने पर वे कक्षा में छात्रों को पढ़ाते समय तकनीकी शब्दावली भले ही अंग्रेजी में बताएं, लेकिन विषय हिंदी में समझाएंगे। बीटेक प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को हिंदी और अंग्रेजी दोनों में प्रश्नपत्र दिए जाएंगे। वे किसी भी भाषा में उत्तर लिख सकेंगे।
टर्म अंग्रेजी में संवाद हिदी में : एकेटीयू के कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र ने बताया कि 15 नवंबर से सत्र शुरू हो रहा है। पढ़ाई के दौरान टर्म अंग्रेजी में ही होंगे, लेकिन पढ़ाने और समझाने का तरीका हिंदी में होगा। एआइसीटीई (अखिल भारतीय तकनीकी परिषद) की ओर से तैयार कराई गई हिंदी माध्यम की पुस्तकों को मंगा रहा है। विषय को समझाने की प्रक्रिया हिदी में है। इससे हिंदी माध्यम के विद्यार्थी तकनीकी विषय को आसानी से समझ लेंगे। द्विभाषीय होने से प्लेसमेंट या किसी भी तरह की समस्या नहीं आएगी। बीटेक प्रथम वर्ष के बाद द्वितीय वर्ष में भी छात्रों के पास दोनों विकल्प रहेंगे कि वे हिंदी या अंग्रेजी दोनों माध्यम से पढ़ाई जारी रखते हुए परीक्षा दे सकेंगे। द्वितीय वर्ष के लिए भी हिंदी माध्यम में पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी।
पुस्तक में दिखेंगे ऐसे-ऐसे शब्द : तकनीकी विषय में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से जो पुस्तकें तैयार हुईं हैं, उसमें अंग्रेजी के टर्म को देते हुए उसका हिंदी अनुवाद किया गया है। जैसे डिजिटल इलेक्ट्रानिक्स का अनुवाद अंकीय इलेक्ट्रानिक्स के नाम से हुआ है। संख्या प्रणाली के साथ नंबर सिस्टम को भी रखकर समझाया गया है। अधिसंख्य तकनीकी अंग्रेजी शब्दावली को देवनागरी लिपि में दिया गया है।
आइईटी लखनऊ के कंप्यूटर साइंस विभाग के प्रो. मनीष गौड़ ने बताया कि हिंदी माध्यम से बीटेक करने से शुरुआती दौर की चुनौतियां आ सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध करने और संवाद करने में दिक्कत होगी। ज्यादातर शिक्षक अंग्रेजी माध्यम से पढ़कर ही आए हैं। बहुत से पाठ्य सामग्री अंग्रेजी में उपलब्ध है। हालांकि जापान, जर्मनी जैसे देश जिस तरह से अपनी भाषा में तकनीकी शिक्षा देकर विश्व के साथ संवाद रखते हैं, उसे देखते हुए माना जा रहा है कि यहां भी ऐसी समस्या नहीं आएगी।