जिन एयर ट्रैफिक कंट्रोलरों (एटीसी) की सतर्कता पर विमानों का संचालन टिका होता है, वे करीब एक साल से रात 12 से सुबह पांच बजे तक अपनी एरिया कंट्रोल सर्विलांस यूनिट को बंद कर सोते रहे। मामला लखनऊ एयरपोर्ट का है। इस दौरान एरिया रडार बंद रहे और यूनिट की स्क्रीन पर दिखे बिना ही लखनऊ एयरपोर्ट आने वाले विमान वैकल्पिक प्रोसीजरल सिस्टम से उतरते रहे। इसी तरह सिस्टम को बाईपास कर उड़ान भी भरते रहे।
पिछले दिनों महानिदेशालय नागरिक उड्डयन (डीजीसीए) की टीम ने लखनऊ के एटीसी की जांच की, तो यह लापरवाही सामने आई। एरिया कंट्रोल सर्विलांस यूनिट की लाग बुक और पर्सनल लाग बुक की जांच के बाद 37 एयर कंट्रोलरों को नोटिस जारी किया गया है। डीजीसीए के निर्देश के बाद इनमें से 21 को हटाने को कहा गया है। जांच में एक और गड़बड़ी सामने आई। एप्रोच कंट्रोल के बंद रहने के समय 16 प्रोसीजरल कंट्रोलर कागजों पर ही ड्यूटी करते रहे। जांच में उनकी आवाज का रिकार्ड नहीं मिला, उनके विरुद्ध भी नोटिस जारी किया गया है।
एटीसी के तीन सिस्टम
लखनऊ एयरपोर्ट पर विमानों की लैंडिग और उनको रवाना करने के लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोल के तीन सिस्टम काम करते हैं। ये हैं एरिया कंट्रोल, एप्रोच कंट्रोल और एयरोड्रोम कंट्रोल। तीनों की सहायता से विमान की लैंडिग होती है। एरिया कंट्रोल 24 घंटे कार्य करता है। एप्रोच कंट्रोल का रडार सुबह छह से रात 10 बजे तक काम करता है। रात 10 से सुबह छह बजे तक प्रोसीजरल कंट्रोलर रेडियो फ्रीक्वेंसी से निर्देश देकर विमान को रन वे पर लाते हैं। एयरोड्रोम कंट्रोल विमान के लैंड करने के बाद उसे पार्किंग तक ले जाता है। प्रोसीजरल कंट्रोलर का उपयोग वैकल्पिक है। रडार के काम न करने की स्थिति में उसकी जरूरत होती है।
ऐसे खुला मामला
डीजीसीए ने एप्रोच कंट्रोल और एरिया कंट्रोल का अचानक 23 से 25 नवंबर तक तीन दिनों तक सर्विलांस निरीक्षण किया था। एयरोनाटिकल इंफारमेशन पब्लिकेशन (एआरपी) और नोटम में दर्ज सूचना के अनुसार लखनऊ एयरपोर्ट के एटीसी का एरिया कंट्रोल 24 घंटे इनरूट सर्विलांस के लिए सक्रिय था, लेकिन जांच करने पर 21 कंट्रोलर बिना नोटम एक्शन पर दर्ज किए गायब मिले। रडार और विमान की मानीटरिग करने वाले मानीटर और अन्य उपकरणों वाली उनकी यूनिट बंद मिली।
नोटम से पकड़ी चूक
नोटम हर एयरपोर्ट के लिए वह सिस्टम होता है, जिस पर वहां रडार व अन्य उपकरणों को बंद करने और होने वाले तकनीकी बदलाव की सूचना न्यूनतम 24 घंटे पहले ही देनी होती है। पायलट एयरपोर्ट पर पहुंचने से पहले नोटम में दर्ज इन्फारमेशन के आधार पर अपनी प्लानिग करते हैं। डीजीसीए ने पाया कि नोटम में सूचना दिए बिना 24 घंटे काम करने वाली एरिया कंट्रोल सर्विलांस यूनिट को रात में बंद रखा गया।
यह था खतरा
रात में लखनऊ आने वाले विमानों को एरिया कंट्रोल सर्विलांस के रडार की मदद से उतारा जाता है। यह रडार बंद होने पर पायलटों के सामने असहज स्थिति बन जाती है और वे रेडियो फ्रीक्वेंसी पर वैकल्पिक व्यवस्था के तहत प्रोसिजरल कंट्रोलर से संपर्क करते हैं। वह बताता है कि कौन रनवे खाली है और किस पर विमान उड़ने वाला है। प्रोसीजरल कंट्रोलर उसके बाद रनवे से लेकर पार्किंग तक ले जाने के लिए एयरोड्रोम कंट्रोल को विमान का नियंत्रण सौंप देता था। सिस्टम का यह बाईपास उस समय खतरनाक होता है, जब एक समय एक विमान को उतरना और दूसरे को रवाना होना होता है।
खतरा अधिक क्यों
लखनऊ एयरपोर्ट का उड़ान पथ (रन वे) छोटा है। ऐसे में एक समय में दो विमानों के आमने-सामने आने का खतरा बहुत अधिक था। पायलटों को तीन सिस्टम मदद करते हैं, जिनमें से एक बंद रहता था। नए पायलट या लखनऊ एयरपोर्ट को न जानने वाले पायलट के लिए खतरा बढ़ जाता।