कोरोना महामारी से दुनिया में 40 लाख से अधिक लोगों को जान जा चुकी है। मगर यह आज तक रहस्य बना हुआ है कि कोरोना संक्रमण की उत्पत्ति प्राकृतिक कारणों से हुई या किसी लैब से इसका वायरस लीक हुआ है। वहीं चीनी सरकार से सहयोग न मिलने और आंकड़े देने में आनाकानी से अमेरिकी खुफिया एजेंसियां भी लंबी पड़ताल के बाद भी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के निर्देश पर की गई जांच की रिपोर्ट व्हाइट हाउस को सौंप दी गई। इस रिपोर्ट में बहुत दम नहीं है। वहीं चीन ने इस मामले पर अमेरिका उसे बलि का बकरा बनाने का आरोप जड़ दिया है। उधर, अमेरिकी खुफिया एजेंसियों द्वारा कोरोना की उत्पत्ति को लेकर सौंपी गई रिपोर्ट में कोई निश्चित निष्कर्ष नहीं निकला कि क्या कोरोना वायरस स्वाभाविक रूप से मनुष्यों में आया या किसी लैब में रिसाव का परिणाम था।
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने मई में देश की खुफिया एजेंसियों को अपने प्रयास दोगुने कर 90 दिनों में महामारी की उत्पत्ति की रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था। व्हाइट हाउस को मिली रिपोर्ट में चीन से अधिक जानकारी मिलने में सामने आई चुनौतियों का जिक्र तो है लेकिन महामारी के ठोस कारणों पर रोश्ानी नहीं डाली गई। वाल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक चीन से विस्तृत जानकारी की कमी ने जांच को प्रभावित किया है। दो वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों को उद्धृत करते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि चीन ने लैब रिकार्ड, जीनोमिक नमूने और अन्य डाटा साझा करने में अपेक्षित सहयोग नहीं किया। एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि चीन जब तक कुछ जरूरी डाटा नहीं देता तब तक कोरोना के वास्तविक कारण्ाों का कभी पता नहीं चलेगा।