अमेरिका ने चीन को हर मोर्चे पर घेरने की कवायद तेज कर दी है। कोरोना संक्रमण के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) में जवाबदेही तय करने के लिए प्रस्ताव पेश करने के बाद अमेरिका ने चीन को उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न पर घेरने का खाका बना लिया है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने उइगर मुस्लिमों के जिम्मेदार अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून को भारी बहुमत से मंजूरी दे दी है। अब इस बिल को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मंजूरी के लिए व्हाइट हाउस भेजा गया है।
अमेरिका के इस मुस्लिम कार्ड से उन तमाम देशों की आवाज और मुखर हो जाएगी, जो फिलहाल चीन की दबंगई के चलते उइगर मुसलमानों पर हो रहे जुल्म को लेकर खुलकर सामने नहीं आ पा रहे हैं। जाहिर है इससे पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम इमरान खान की ‘मुस्लिम सियासत’ पर भी विपरीत असर पड़ेगा, जो भारतीय मुसलमानों को लेकर तो वैश्विक मंचों पर दुष्प्रचार करते आ रहे हैं, लेकिन उइगर मुसलमानों पर चुप्पी साधे रहते हैं।
इस बिल के लिए हुए वोटिंग में पक्ष में 413 वोट जबकि खिलाफ में केवल 1 वोट पड़ा। बिल के पास होने के बाद कई नेताओं ने कहा कि सीनेट ने इस बिल को सर्वसम्मति से पास किया है जिससे मानवाधिकारों का हनन करने पर चीन पर प्रतिबंध लगाया जा सके। रिपब्लिकन पार्टी के कुछ नेताओं ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि राष्ट्रपति ट्रंप इस बिल पर जल्द हस्ताक्षर करेंगे।
उइगुर मुस्लिमों को लेकर पारित बिल पर अमेरिका और चीन के बीच विवाद और गहराने की संभावना है। चीन जहां इसे अपने संप्रभुता का उल्लंघन बताएगा वहीं अमेरिका इसे मानवाधिकारों से जोड़कर उठाया गया कदम करार देगा। चीन और अमेरिका के बीच पहले से ही ट्रेड वॉर, साउथ चाइना सी और कोरोना वायरस को लेकर जांच पर विवाद है।
चीन में हुई 2003 की जनगणना में उइगुरों की आबादी करीब 90 लाख बताई गई थी जबकि अनाधिकारिक अनुमान में उनकी आबादी उससे भी ज्यादा है। उइगुर चीन के 55 अल्पसंख्यक समुदायों में से पांचवां सबसे बड़ा समुदाय है। 1949 से पहले तक चीन के शिंजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र की कुल आबादी का 95 फीसदी उइगुर मुस्लिम थे लेकिन चीन में 60 सालों के कम्यूनिस्ट शासन के बाद अब वे सिर्फ 45 फीसदी रह गए हैं।
कौन हैं उइगुर मुस्लिम
उइगुर मध्य एशिया में रहने वाले तुर्क समुदाय के लोग हैं जिनकी भाषा उइगुर भी तुर्क भाषा से काफी मिलती-जुलती है। उइगुर तारिम, जंगार और तरपान बेसिन के हिस्से में आबाद हैं। उइगुर खुद इन सभी इलाकों को उर्गिस्तान, पूर्वी तुर्किस्तान और कभी-कभी चीनी तुर्किस्तान के नाम से पुकारते हैं। इस इलाके की सीमा मंगोलिया, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत के साथ-साथ चीन के गांसू एवं चिंघाई प्रांत एवं तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र से मिलती है। चीन में इसे शिंजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र (एक्सयुएआर) के नाम से जाना जाता है और यह इलाका चीन के क्षेत्रफल का करीब छठा हिस्सा है।