
खुद को आत्मनिर्भर बना कर चार अन्य लोगों को दिया रोजगार
रायपुर। महासमुंद जिले लाखागढ़ गांव के भागेश्वर गजेन्द्र ने लोगों के समने मिलास पेश की है। शारीरिक अक्षमता को अपने उपर उन्होंने हावी नहीं होने दिया और आत्मनिर्भर बनने के सपने देखने लगे। भागेश्वर दिव्यांगजनों के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत हैं, उन्होंने न सिर्फ अपने आप को एक मुकाम पर पहुंचाया है, बल्कि अब अपना घर चलाने में भी सक्षम हैं। आॅटो रिपेयरिंग शॉप खोल उन्होंने अपने आजीविका का साधन बनाया साथ ही चार अन्य लोगों को रोजगार देने का भी नेक काम कर रहे हैं।
श्रवणबाधित भागेश्वर के पिता के निधन के बाद परिवार की सारी जिम्मेदारी उन्हीं के ऊपर आ गई। उस समय उनकी उम्र मात्र 20 साल थी। घर में बड़े होने के नाते उनकी दो बहनों, एक भाई की जिम्मेदारी उनके कंधे में आ गई। इससे उन्हें काफी आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिसके चलते वे आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए। अपने भविष्य और परिवार को लेकर वे काफी चिंतित रहा करते थे। एक दिन उनके मन में विचार आया कि अपना कोई काम शुरू कर आत्मनिर्भर बनें। उन्हें पता चला कि समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत निःशक्तजन वित्त विकास निगम द्वारा स्वरोजगार के लिए निःशक्तजनों को ऋण उपलब्ध कराया जाता है। अधिकारियों के बताए अनुसार उन्होंने स्वरोजगार के लिए आवेदन कर दिया। विभाग ने उनके लिए आटो पार्ट्स इकाई स्थापना के लिए दो लाख 69 हजार 820 रूपए का ऋण से पिथौरा में आटो पार्ट्स की दुकान डाली। आज वो अपने घर को चलाने के साथ-साथ अन्य चार लोगों को रोजगार भी दिए हैं।
जहां कार, मोटर सायकल रिपेयरिंग एवं ऑटो पार्ट्स की बिक्री कर रहें हैं। उन्हें व्यवसाय से प्रतिवर्ष लगभग 3 लाख रूपए की आमदनी प्राप्त हो रही है। अब वे पूरी तरह आर्थिक रूप से सक्षम होकर समाज की मुख्य धारा से जुड़कर सम्मान पूर्वक जीवन यापन कर रहें है।