कांग्रेस आपसी कलह के कारण कर्नाटक और मध्य प्रदेश की सत्ता गंवा चुकी है, वहीं पंजाब में कलह थमने का नाम नहीं ले रहा है तो छत्तीसगढ में भी चिंगारी भडक रही है। मौजूदा कलह को देखते हुए कांग्रेस आलाकमान ने राजस्थान में आग भडकने से पहले पानी डालने का फैसला लिया है। इसी कडी में राजस्थान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट की एक सप्ताह में दो बार राहुल गांधी व प्रियंका वाड्रा से लंबी चर्चा हुई है। इसके बाद राजस्थान में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। प्रदेश के कई बड़े नेता इन दिनों दिल्ली जाकर कांग्रेस आलाकमान से मिलकर फीडबैक दे रहे हैं।
राजस्थान में काफी समय से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के मध्य मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान चल रही है। इसी कारण पिछले वर्ष सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ बगावत कर 22 विधायकों को लेकर एक महीने तक गुरुग्राम में डेरा डाला था।
उस सयम कांग्रेस आलाकमान ने पायलट के पक्ष को अनसुना कर गहलोत के दबाव में सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से तथा उनके समर्थक दो मंत्रियों महाराजा विश्वेंद्र सिंह व रमेश मीणा को कैबिनेट मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था। उस समय पायलट की बगावत से डर कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने समर्थक विधायकों को एक महीने तक जयपुर, जैसलमेर के होटलों में बाड़ेबंदी कर बंद रखा था। तब मुख्यमंत्री गहलोत कांग्रेस आलाकमान को यह समझाने में सफल रहे थे कि पायलट ने अंदरखाने भाजपा से मिलकर उनकी सरकार को अस्थिर करने का कुटिल प्रयास किया है जिसकी सजा उसको मिलनी चाहिए। इसी कारण पार्टी आलाकमान ने पायलट व उनके समर्थकों को पदों से हटा दिया था।
लंबे समय तक गहलोत के विरोध में रहने के बावजूद सचिन पायलट द्वारा पार्टी नहीं छोड़ने और पार्टी के खिलाफ कुछ भी नहीं बोलने के कारण कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका ने मध्यस्तथा कर सचिन पायलट की बगावत को समाप्त करवा कर उनको फिर से पार्टी की मुख्यधारा में शामिल करवाया था। उस समय प्रियंका के प्रयासों से कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सचिन पायलट को आश्वस्त किया गया था कि उनके द्वारा गहलोत को लेकर की गई शिकायतों का सही मंच पर समुचित समाधान करवाया जाएगा। इसी श्रृंखला में अहमद पटेल, केसी वेणुगोपाल और अजय माकन की तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। समिति को मुख्यमंत्री गहलोत व पायलट के पक्ष को सुनकर दोनों नेताओं के बीच सामंजस्य स्थापित करवाना था। अहमद पटेल की कोरोना से मौत हो जाने के कारण समिति लंबे समय तक निष्क्रिय बनी रही।
राजस्थान को लेकर भी कांग्रेस आलाकमान सख्त रुख अपना रहा है। प्रदेश प्रभारी महासचिव अजय माकन कह चुके हैं कि स्वास्थ्य लाभ करने के बाद गहलोत जिस दिन दिल्ली जाएंगे, उसके अगले ही दिन सरकार व संगठन में संभावित फेरबदल व नियुक्तियां होनी शुरू हो जाएंगी। कांग्रेस आलाकमान ने राजस्थान को लेकर पूरा ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया है। मुख्यमंत्री गहलोत के अस्वस्थ होने के कारण फेरबदल की पूरी प्रक्रिया रुकी हुई है।
कांग्रेस आलाकमान ने सचिन पायलट की भूमिका भी तय कर दी है। जिसकी घोषणा प्रदेश में परिवर्तन के बाद किए जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है। कांग्रेस आलाकमान को इस बात का अच्छी तरह पता है कि अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री रहते अगले विधानसभा चुनाव में जीत पाना बहुत मुश्किल है। ऐसे में पार्टी नेतृत्व चाहता है कि सचिन पायलट को ऐसी भूमिका दी जाए जिससे लोगों का रुझान फिर से कांग्रेस की तरफ हो सके। राहुल भी जानते हैं कि राजस्थान में सबसे अधिक लोकप्रिय व भीड़ खींचने वाले नेता सचिन पायलट ही हैं। ऐसे में यदि पायलट को लंबे समय तक मुख्यधारा से दूर रखा गया तो उसका खामियाजा पार्टी को सत्ता गंवा कर उठाना पड़ सकता है।