रायपुर। छत्तीसगढ़ कॉन्सिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के स्पेशन कोविड ड्राइव के तहत ट्रिपलआईटी दो प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। पहला प्रोजेक्ट वीडियो कैमरा के जरिए ऑटोमेटिक मास्क ऑडेंटिफिकेशन सिस्टम, वार्निंग और ऑटोमेटिक अडेंटेस सिस्टम बनाना है। वहीं, दूसरा प्रोजेक्ट कैमरे के जरिए बॉडी टैम्प्रेचर डिटेक्ट करने का सिस्टम तैयार करना है। दोनों प्रोजेक्ट 1 साल के भीतर पूरे करने का लक्ष्य रखा गया है। ये प्रोजेक्ट सीएस डिपार्टमेंट के डॉ मुनेंद्र ओझा, डॉ विवेक तिवारी और इलेक्ट्रॉनिक्स डिपार्टमेंट के एस. विशाल त्रिपाठी व डॉ मनोज मजूमदार संभालेंगे।
पहला प्रोजेक्ट
इसके तहत वीडियो कैमरा की मदद से ऐसा सिस्टम बनाना है जिससे ये पता लगाया जा सके कि व्यक्ति ने मास्क पहना है या नहीं। गेट में एंट्री करते समय ही कैमरा यह चेक कर लेगा कि आपने मास्क पहना है या नहीं। यदि आपने मास्क नहीं पहना होगा तो गेट ओपन ही नहीं होगा और अलार्म बजने लगेगा। वहीं, फेस डिटेक्शन के जरिए गेट पर ही कर्मचारी की अटेंडेंस ऑटोमेटिक लग जाएगी। अटेंडेंस के लिए पंचिंग मशीन में थंब इम्प्रेशन नहीं देना होगा। पंचिंग मशीन में एक ही जगह पर सभी के छूने से वायरस के संक्रमण का खतरा भी होता है, नया सिस्टम बन जाने से इस खतरे से भी बचा जा सकेगा।
दूसरा प्रोजेक्ट
इसके तहत इंफ्रारेड सेंसर और कम्प्यूटर विजन के जरिए बॉडी टैम्प्रेचर डिटेक्शन सिस्टम डेवलप किया जाएगा। बॉडी टेम्प्रेचर मेजर कर ये पता लगाया जा सकेगा कि व्यक्ति को बुखार है या नहीं। इससे एक ही समय में कई लोगों का बॉडी टैम्प्रेचर नापा जा सकेगा। कोरोना संक्रमण की वजह से इन दिनों हर ऑफिस में एक व्यक्ति को थर्मल स्क्रीनिंग की जिम्मेदारी दी गई है। नया सिस्टम बनने से ये काम ऑटोमेटिक मशीन से किया जा सकेगा।
डॉ. रुहुल को स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने टॉप 2 प्रतिशत साइंटिस्ट में किया शामिल
ट्रिपल आईटी के सीएसई डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रुहुल अमिन को स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से टॉप 2 प्रतिशत साइंटिस्ट की लिस्ट में शामिल किया गया है। रिसर्च प्रोफाइल को देखते हुए उन्हें इस लिस्ट में शामिल किया गया हैं। डॉ. रुहुल 2014 से नेटवर्क सिक्योरिटी, ब्लॉक चैन, क्रिप्टोग्राफी जैसे डोमेन पर रिसर्च कर रहे हैं। अब तक इन सबजेक्ट से रिलेटेड उनके 70 से ज्यादा रिसर्च पेपर पब्लिश हो चुके हैं। उन्होंने साइबर सिक्योरिटी अटैक प्रोटेक्शन मैकेनिज्म भी बनाया है। इसे क्रिप्टोग्राफी की मदद से बनाया गया है, जिससे साइबर अटैक, वायरस प्रॉब्लम, मालवेयर एनालिसिस जैसी प्रॉब्लम से बचा जा सकता है। आईआईटी धनबाद से पीएचडी करने के बाद 2017 से वे ट्रिपलआईटी नया रायपुर में कार्यरत हैं।