तंदुरुस्त रहने व वजन कम करने के लिए लोग खानपान में बदलाव करते हैैं। अब एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग लोगों को तंदरुस्त रहने व वजन कम करने के साथ-साथ उम्र के प्रभाव को कम करने में भी मददगार है। यह कैंसर व डायबिटीज से मुकाबले की ताकत भी प्रदान करता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग एक भोजन चक्र है, जो भोजनकाल व उपवास की अवधि में संतुलन पैदा करता है। यह सामान्य तौर पर दो प्रकार का होता है। पहले में भोजनकाल को प्रतिदिन छह से आठ घंटे रखते हुए, श्ोष समय को उपवास के लिए छोड़ दिया जाता है, जबकि दूसरे में पांच अनुपात दो के नियम का पालन किया जाता है। यानी, हफ्ते में दो दिन मध्यम मात्रा में भोजन करना होता है। अमेरिका स्थित जांस हापकिंस यूनिवर्सिटी स्कूल आफ मेडिसिन में न्यूरोसाइंस के प्रोफेसर मार्क मैटसन के अनुसार, ‘इंटरमिटेंट फास्टिंग एक स्वस्थ जीवन श्ौली का हिस्सा हो सकता है।” प्रो. मैटसन ने 25 वर्षों तक इंटरमिटेंट फास्टिंग का स्वास्थ्य पर प्रभावों का अध्ययन किया है और खुद लगभग 20 वर्षों तक इस पद्धति को अपनाया है। न्यू इंग्लैैंड जर्नल आफ मेडिसिन में प्रकाश्ाित श्ाोध निष्कर्ष में मैटसन ने कहा है कि पश्ाुओं व मनुष्यों पर हुए कुछ अध्ययनों में पता चला है कि उपवास रहने व भोजनकाल में अदला-बदली से कोश्ािकाओं की सेहत अच्छी होती है। इससे उपापचय में बदलाव होता है, जो उम्र का असर कम करने में मददगार साबित हो सकता है।