भारत और पाकिस्तान 1947 से पहले एक देश हुआ करता था। पाकिस्तान को इस सोच के साथ बनाया गया था कि यहां मुस्लिम समुदाय के लोग निवास करेंगे। हालांकि, पाकिस्तान के निर्माण के बावजूद यहां मुसलमानों की समस्या जस की तस बनी रह। यहां कई समुदाय के लोग स्थानीय नागरिकता के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं।
पाकिस्तान में करीब 5 लाख अहमदिया मुसलमान निवास करते हैं। इनका कहना है कि यह इस्लाम में विश्वास करते हैं और पूरी तरह से मुस्लिम हैं। इसके बावजूद पाकिस्तान की सविंधान में इन्हें मुसलमान माना ही नहीं गया है। वहां पर इस समुदाय के लोगों को अल्पसंख्यक गैर मुस्लिम धार्मिक समुदाय का दर्जा दिया गया है। इन्हें मस्जिद में भी जाने की मनाही है। अहमदिया मुसलमान पहली बार प्रकाश में साल 1889 में आए। भारत के गुरदासपुर ज़िले में स्थित कादिया गांव में पहली बार अहमदी आंदोलन का आगाज हुआ था।
पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर अहमदिया मुसलमान निवास करते हैं, लेकिन वहां के सुन्नी और शिया समुदाय के लोग उन्हें मुसलमान मानते ही नहीं हैं। उनके साथ वह बुरा बर्ताव भी करते हैं। वहाँ आए दिन अहमदिया मुसलमानों पर हमले की खबर सामने आती रहती है। इस समुदाय के लोगों की माने तो सुन्नी और शिया मुसलमान उनके प्रार्थना स्थलों और कब्रिस्तानों को निशाना बनाते रहते हैं। इन्हें ईशनिंदा जैसे मामलों में भी लपेटा जाता है, जिससे यह बुरी तरह से तंग आ गए हैं। हाल यह है कि मौजूदा समय में यह पाकिस्तान छोड़ दूसरे देशों में शरण लेने के लिए मजबूर हो रहे हैं।