नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल (प्रचंड) और पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा का करीब 15 महीनों तक चला गठबंधन टूट गया है। प्रधानमंत्री पुष्प कमल ने केपी ओली के साथ गठबंधन करते हुए नई सरकार बनाने की घोषणा की है। पुष्प कमल और शेर बहादुर के नेताओं के बीच मौजूदा समय में कुछ अनबन चल रही थी। इसी वजह से 15 महीनों पुराना गठबंधन धराशायी हुआ है। पुराने गठबंधन के टूटने में चीन के हस्तक्षेप की भी बात सामने आई रही है। बताया जा रहा है कि पुष्प कमल और शेर बहादुर को अलग करने में चीनी राजदूत की भूमिका अहम रही है।
हाल के दिनों में चीन को नेपाल में वामपंथी एकता पर जोर देते हुए देखा गया है। इसके पीछे मंशा थी कि वह नेपाल में प्रभाव को बढ़ाना चाहता है। बहादुर देउबा को नेपाल में भारत समर्थक माना जाता है। वहीं केपी ओली पर चीनी प्रभाव नजर आता है। यही वजह है कि शी जिनपिंग की सरकार लगातार केपी ओली को सत्ता में लाना चाहती थी। वह इसमें कुछ हद तक कामयाब भी हो गई है।
नेपाल के प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए केपी शर्मा ओली का व्यवहार भारत के खिलाफ कुछ खास नहीं रहा है, बल्कि वह लगातार भारत के खिलाफ जहर ही उगलते रहे हैं। ओली को चीन का समर्थक माना जाता है। उन्होंने चीनी राजदूत के उकसाने पर नेपाल का नक्शा पेश किया था। इस दौरान उन्होंने भारत के लिंपियाधुरा और कालापानी क्षेत्र को नेपाल का हिस्सा बताया था। हाल के दिनों में प्रचंड और ओली की चीनी राजदूत से कई बार मुलाकात हुई थी।