Ekhabri विशेष। चंद्रशेखर वेंकट रमन भारतीय भौतिक-शास्त्री थे। उनका आविष्कार उनके ही नाम पर रमन प्रभाव के नाम से जाना जाता है। 28 फरवरी 1928 को चन्द्रशेखर वेंकट रामन् ने रमन प्रभाव की खोज की थी जिसकी याद में भारत में इस दिन को हर वर्ष ‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। वहीं आज 7 नवम्बर को उनके जन्मदिवस विशेष में हम उनके कार्यों उल्लेखों और उनके द्वारा कहे गए कुछ बेहतरीन वचनों के बारे में जानते हैं-
कैसे मिली उन्हें प्रेरणा रमन प्रभाव खोजने की?
Sir सी वी रमन के पिता कॉलेज में भौतिकी के अध्यापक थे। वे अपने मेधावी पुत्र चंद्रशेखर वेंकटरमन को 12 वर्ष की उम्र में मैट्रिक करने के बाद आगे पढ़ाई के लिए विदेश भेजना चाहते थे, किंतु विलायती डॉक्टर ने सेहत की बिना बाहर नहीं भेजने की सलाह दी, लिहाजा रमन ने भारत में ही प्रेसीडेंसी कॉलेज, मद्रास से 1904 में बीए और फिर 1907 मना में एमए किया।
सन् 1907 में सिविल सर्विस परीक्षा पास कर वे कोलकाता में ब्रिटिश सरकार के वित्त विभाग में डिप्टी डायरेक्टर जनरल हो गए। वहां वे सर आशुतोष मुखर्जी और सर गुरदास बैनर्जी की भारतीय विज्ञान परिषद की प्रयोगशाला में वैज्ञानिक परीक्षण करने लगे थे। उनका तबादला पहले रंगून और फिर नागपुर कर दिया गया। बाद में अकाउंटेंट जनरल होकर वे कोलकाता पहुंचे। ज्यों ही सर आशुतोष मुखर्जी, सर तारकनाथ पालित और डॉ. रासबिहारी बोस ने वहां साइंस कॉलेज की स्थापना की, राष्ट्रप्रेमी रमन ने सरकारी नौकरी छोड़कर भौतिकी विभाग संभाल लिया।
सर रमन ने प्रकाश, एक्सरे, चुंबकत्व, क्रिस्टल जैसे विषयों पर शोध कार्य किया। उन्होंने संगीतवाद्यों पर भी अनुसंधान किया कि वीणा, वायलिन या मृदंग से सुमधुर स्वर क्यों निकलता है ?
सन् 1921 में वे समुद्री मार्ग से यूनिवर्सिटीज कांग्रेस में भाग लेने ऑक्सफोर्ड गए। इस यात्रा ने उनके जीवन की दिशा बदल दी। वे कित थे कि भूमध्य सागर का रंग नीला क्यों है, जबकि बंगाल की खाड़ी का हरा है। बस, डेक पर ही उन्होंने उपकरणों से गहन परीक्षण प्रारंभ कर दिया, जो बाद में रमन प्रभाव की खोज तक जारी रहा। उन्होंने पदार्थों के अणुओं द्वारा प्रकाश छितराने के कारणों की खोज की। उन्होंने पारदर्शी माध्यमों से प्रकाश के गुजरने पर आए परिवर्तनों को रेखांकित किया। उन्होंने पाया कि मर्करी आर्क से निकली प्रकाश किरण जब माध्यम से गुजरकर स्पेक्ट्रोग्राफ पर पड़ती है तो उसके स्पेक्ट्रम में नई रेखाएं मिलती हैं।
उन्होंने 16 मार्च, 1928 को बेंगलूर में संगोष्ठी में रमन प्रभाव की घोषणा कर दी, जिस पर उन्हें 1930 में नोबेल पुरस्कार मिला। सन 1954 में उन्हें भारत सरकार द्वारा भारत रत्न की उपाधि से विभूषित किया गया और 1957 में लेनिन शान्ति पुरस्कार भी प्रदान किया गया था।
सर वेंकट रमन के कहे गए कुछ अनमोल वचन –
1. आप हमेशा यह चयन नहीं कर सकते हो कि कौन तुम्हारे जीवन में आएगा, लेकिन आप सीख सकते हैं कि वे आपको क्या सबक सिखाते हैं।
2. मैं अपनी असफलता का मालिक हूं अगर मैं कभी असफल नहीं होता तो मैं इतना सब कुछ कैसे सीखता।
3. सही सवाल पूछें और प्रकृति अपने सभी रहस्यों के द्वार खोल देगी।
4. आपके सामने मौजूदा कार्य के लिए दमदार समर्पण से आप सफलता पा सकते है।
5. अगर मेरे से सही से पेश आए तो आपका जीवन प्रकाशमय है और अगर गलत तरीके से पेश आए तो अंधकारमय होना निश्चित है।
6. अगर कोई आपको जज करता है, तो खुद के दिमाग को खराब कर रहा है, लेकिन सबसे अच्छी बात है, यह उनकी समस्या है।
7. आधुनिक भौतिक विज्ञान की पूरी रूपरेखा पदार्थ के परमाणु या आणविक संरचना की मौलिक परिकल्पना पर बनी है।