हैदराबाद। सैनिक अपने देश के लिए अपनी जान तक न्यौछावर कर देते हैं। पर रिटायर या अन्य वजह से नौकरी से छूटने के बाद यदि उनकी हालत खराब हो जाए तो यह बड़े ही शर्म की बात होगी। ऐसा ही एक मामला हैदराबाद से सामने आया है। जहां एक पूर्व सैनिक रोजी-रोटी के लिए ऑटो चलाने पर मजबूर हो गया है। भारत और चीन के बीच हुआ वर्ष 1971 का वो युद्ध सबको याद होगा, जिसमें भारतीय सेना चीन सैनिकों पर भारी पड़ी थी। भारत-चीन के बीच हुए उस युद्ध में बहादुरी देने के लिए कभी जिस सैनिक को मेडल दिया गया था, आज वही सेवानिवृत्त सैनिक दो वक्त की रोटी की जुगाड़ करने के लिए ऑटो चलाता है। सेवानिवृत्त सैनिक शेख अब्दुल करीम ने राज्य सरकार से मदद की गुहार लगाई है। तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में ऑटो चलाने वाले सेवानिवृत्त शेख अब्दुल करीम ने बताया कि भारत और चीन के बीच 1971 में हुए युद्ध में बहादुरी दिखाने के लिए उन्हें मेडल दिया गया था। करीम ने कहा कि मेरे पिता भारतीय सेना में थे, उनके निधन के बाद वर्ष 1964 में उनकी जगह मैं भारतीय सेना में भारतीय हुआ था। मुझे लाहौल क्षेत्र में तैनात किया गया था। बाद में भारत और चीन के बीच युद्ध में देश के लिए लड़ा।
-सेना से निकाले गए जवानों में करीम भी
करीम ने बताया, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासन के दौरान सेना के अतिरिक्त जवानों को हटाया गया था, उनमें से एक मैं भी था। सेना में रहते हुए मैंने सरकारी जमीन के लिए आवेदन किया था, तेलंगाना के गोलापल्ली गांव में मुझे पांच एकड़ जमीन दी गई। करीब 20 साल वो जमीन गांव के अन्य सात लोगों को दे दी गई। जब मैंने इस बारे में शिकायत की, तो जांच के बाद मुझे दूसरी जगह जमीन देने की पेशकश की गई, लेकिन वो जमीन देने से इनकार कर दिया गया। इस बात को भी एक साल हो गया है, लेकिन अब तक जमीन के दस्तावेज तैयार नहीं हुए और ना ही वो जमीन मुझे मिली।