भिलाई। शंकराचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज के चेयरमेन आई पी मिश्रा के इकलौते बेटे अभिषेक मिश्रा की हत्या का मामला सुलझ गया है। अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए मामले में आरोपी बनाए गए विकास जैन और अजीत सिंह को जीवन की अंतिम साँस तक कारावास की सजा दी है। वहीं किम्सी जैन को अदालत ने दोषमुक्त कर दिया है। सीनियर वकील राजकुमार तिवारी ने बताया कि हत्याकांड में शामिल किमसी जैन को बरी कर दिया गया है,जज ने किमसी को लेकर कहा कि परिस्थितिजन्य प्रकरण है, और किमसी के खिलाफ परिस्थितियां प्रमाणित नहीं हुई है।
आरोपी विकास जैन और अजीत सिंह को आजीवन कारावास के साथ अर्थदंड भी लगाया गया है। सत्र न्यायाधीश राजेश श्रीवास्तव ऑनलाइन यह फैसला सुनाया है।
घटना पर एक नजर
10 नवंबर 2015 की शाम शंकराचार्य इंजीनियरिंग कालेज के चेयरमैन IP मिश्रा के इकलौते बेटे अभिषेक मिश्रा का अपहरण हुआ था। किडनैपिंग की खबर ने पूरे प्रदेश में खलबली मचा दी थी। पुलिस ने भी इसे सुलझाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। यही वजह थी कि कई मोबाइल फोन की डिटेल खंगालने के बाद पुलिस की निगाह भिलाई में रहने वाले सेक्टर-10 निवासी विकास जैन के ऊपर आ टिक गई थी। मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था, जिसमें अभिषेक के काॅलेज में पढ़ाने वाली प्रोफेसर किमसी जैन, उसका पति विकास जैन और उसका चाचा अजीत शामिल था। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद लगातार इस मामले की जांच की गई और जांच पूरी होने के बाद दुर्ग न्यायालय में चार्जशीट पेश की गई। करीब 5 साल (2016) से ये मामला दुर्ग जिला न्यायालय में चल रहा था।
किडनैपिग की घटना के करीब 45 दिन बाद आरोपी विकास जैन के चाचा अजीत जैन के स्मृति नगर निवास के बगीचे में अभिषेक की सड़ी गली लाश बरामद हुई। आरोपियों ने बेहद ही शातिराना अंदाज में लाश को दफना कर ऊपर सब्जियां उगा दी थी। पुलिस ने लाश के पास हाथ का कड़ा, अंगूठी और लाॅकेट देखकर अभिषेक की लाश होने की पुष्टि की थी। लाश का DNA टेस्ट भी कराया गया था।