कोरोना महासंकट के बीच देश में लॉकडाउन लागू है और इसकी सबसे बड़ी मार देश के करोड़ों मजदूरों पर पड़ी है। लॉकडाउन में फंसे कई राज्यों में काम कर रहे मजदूरों के सब्र का बांध टूट रहा है। बड़ी संख्या में रोजाना मजदूर परिवार सहित पलायन कर अपने घर लौट रहे हैं। भोपाल के रास्तों से वे मप्र के अन्य जिलों, राजस्थान, उप्र, महाराष्ट्र, गुजरात आदि राज्यों में पहुंच रहे हैं। कोई पैदल सैकड़ों किमी का रास्ता नाप रहा तो कोई ट्रक-ट्रॉलों में भेड़-बकरियों की तरह सफर करने को मजबूर है। उनकी रातें भी खुले आसमां के नीचे बीत रही हैं। जो कुछ खाने-पीने को मिलता उससे पेट की आग बुझा लेते हैं। मजदूरों का दर्द है कि जिनके साथ वे वर्षों से काम कर रहे थे, कोरोना की वजह से एक पल में ही बेगाने हो गए। लॉकडाउन में फैक्टरियां बंद हैं और मालिकों ने भी रुपये देने से हाथ पीछे खींच लिए। ऐसे हालात में अपना घर ही नया बसेरा है।
वहीं कुछ जगह तो घर का सफर करते हुए मजदूरों को अपनी जान से ही हाथ धोना पड़ रहा है। गुरुवार को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, मध्य प्रदेश के गुना और बिहार के समस्तीपुर में सड़क हादसे में कुल 16 जवानों की जान चली गई जबकि कई घायल भी हो गए। इस बीच देश के अलग-अलग हिस्सों से मजदूरों के हंगामे, घर जाने की अपील को घटनाएं भी सामने आ रही हैं।
महाराष्ट्र
जिन मजदूरों को श्रमिक स्पेशल ट्रेन की सुविधा नहीं मिल रही है, वह पैदल घर की ओर से निकल रहे हैं या स्थानीय प्रशासन से अपील कर रही है। महाराष्ट्र के मुंबई में एक बार फिर मजदूरों का गुस्सा फूटा, यहां नागपाड़ा इलाके में सैकड़ों की संख्या में मजदूर सड़कों पर उतर आए। बेलासिस रोड के पास मजदूरों ने अपने घर उत्तर प्रदेश भेजने की मांग की, लेकिन जब भीड़ बढ़ती गई तो स्थानीय पुलिस ने लाठीचार्ज कर मजदूरों को भगाया।
गुजरात
गुजरात के कच्छ में भी प्रवासी मजदूरों ने स्थानीय प्रशासन के खिलाफ हंगामा किया। कच्छ के गांधीधाम में सैकड़ों मजदूरों ने सड़क पर हंगामा किया, हाइवे को ब्लॉक कर दिया और जब पुलिस ने लाठीचार्ज शुरू किया तो उनपर ही पत्थर बरसा दिए। मजदूरों का आरोप है कि उन्होंने टिकट के पैसे दिए हैं, लेकिन ट्रेन की व्यवस्था अबतक नहीं हुई।
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में सड़क से ही बिहार लौट रहे मजदूरों ने अपना गुस्सा जाहिर किया। हरियाणा से निकल कर बॉर्डर पर जमा हुए मजदूरों ने आरोप लगाया कि फैक्ट्री में मालिक हमें घर जाने को कह रहा है इसलिए हम निकल गए लेकिन बिहार की सरकार उनके घर जाने की कोई व्यवस्था नहीं कर रही है। इसके बाद मजदूरों को स्थानीय शेल्टर होम में शिफ्ट किया गया है।
पंजाब
पंजाब के बठिंडा में सैकड़ों की संख्या में मजदूर रेलवे स्टेशन पहुंच गए, मजदूरों का कहना था कि उन्हें कहा गया कि यहां से श्रमिक ट्रेन जा रही है, इसलिए वे कई किमी. चलकर स्टेशन आए थे, लेकिन अब यहां कुछ नहीं हैं तो वापस वहां ही जा रहे हैं जहां रुके हुए थे।
मध्य प्रदेश-बिहार
गौरतलब है कि केंद्र सरकार के द्वारा श्रमिकों की घर वापसी के लिए स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं, लेकिन इन ट्रेनों में उन्हीं श्रमिकों को जाने दिया जा रहा है जिनकी जानकारी स्थानीय अधिकारी और संबंधित राज्य सरकारों के द्वारा दी जा रही है। यही कारण है कि अभी भी हजारों मजदूरों को इसका लाभ नहीं मिला है।