शोधकर्ताओं ने एक नए अध्ययन के दौरान ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) व कैंसर के बीच अप्रत्याशित संबंध का पता लगाया, जिससे नई दवा के जरिये टीबी के इलाज का मार्ग प्रशस्त होता है। वैश्विक स्तर पर हर साल टीबी से करीब 15 लाख लोगों की मौत हो जाती है। अमेरिका स्थित स्टैनफोर्ड मेडिसिन के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में हुए इस अध्ययन में पाया गया कि टीबी से संक्रमित मरीज के फेफड़ों में एक प्रकार का जख्म होता है, जिसे ग्रैनुलोमस कहा जाता है। ग्रैनुलोमस प्रोटीन से भरा होता है, जिससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कैंसर अथवा अन्य संक्रमित कोशिकाओं से लड़ने में कमजोर पड़ जाती हैै। कैंसर की कुछ दवाएं इन इम्यूनोसप्रेसिव प्रोटीन को लक्षित करती हैं। चूंकि इन दवाओं का व्यापक रूप से कैंसर के मरीजों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए क्लीनिकल ट्रायल के जरिये यह देखने की जरूरत है कि क्या इनका उपयोग टीबी के मरीजों के इलाज में भी किया जा सकता है। अध्ययन की प्रमुख लेखिका एरिन मैककैफ्रे के अनुसार, ‘पता नहीं क्यों, प्रतिरक्षा प्रणाली अधिकतर बैक्टीरिया को खत्म नहीं कर पाती। हम चकित रह गए कि जो मालिक्यूल कैंसर कोशिकाओं को प्रतिरक्षा प्रणाली से बचाते हैैं, वही टीबी के बैक्टीरिया की भी रक्षा करते हैैं।” ‘नेचर इम्यूनोलाजी” नामक पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन निष्कर्ष में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में पैथोलाजी के सहायक प्रोफेसर माइक एंजेलो ने कहा, ‘कैंसर के ट्यूमर से तुलना के दौरान हमने जो पाया वह अभूतपूर्व था।”