संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में चीन के शिनजियांग प्रांत के उइगर मुसलमानों पर बहस कराने के प्रस्ताव पर अमेरिका को झटका लगा है। 47 सदस्य देशों वाली परिषद में अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा के प्रस्ताव के समर्थन में 17 जबकि विरोध में 19 मत पड़े। भारत सहित 11 सदस्य देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया। परिषद के 16 वर्षों के इतिहास में यह दूसरा मौका है जब अमेरिका द्वारा रखा गया प्रस्ताव अस्वीकार हुआ है।
शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों का वर्षों से भारी उत्पीड़न हो रहा है। वहां पर उनकी धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगी हुई है। अतिवाद नियंत्रण के नाम पर लाखों उइगर मुसलमानों को शिविरों में नजरबंद रखा जा रहा है। मानवाधिकार परिषद ने अगस्त में उइगरों के उत्पीड़न पर विस्तृत रिपोर्ट दी है। अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा ने इस रिपोर्ट पर बहस के लिए प्रस्ताव पेश किया था। इस प्रस्ताव को ज्यादातर पश्चिमी देशों का समर्थन प्राप्त था। अगर प्रस्ताव पारित हो जाता तो उइगरों की दशा पर परिषद मार्च में बहस करती और इससे चीन की निंदा करने और उसके खिलाफ कदम उठाने का रास्ता खुल जाता। लेकिन अब यह सब नहीं हो सकेगा।
उइगरों की दशा पर बहस का प्रस्ताव गिरने को वर्ल्ड उइगर कांग्रेस के प्रमुख डोल्कन इसा ने भयावह और अप्रत्याशित करार दिया है। इसा की मां की चीन सरकार के नजरबंदी शिविर में मौत हो चुकी है जबकि उनके दो भाई लंबे समय से लापता हैं। इसा ने कहा, प्रस्ताव पर मुस्लिम देशों-पाकिस्तान, इंडोनेशिया, यूएई और कतर के रुख से उइगर समुदाय को धक्का लगा है। इन मुस्लिम देशों ने प्रस्ताव के खिलाफ वोट दिया, जबकि मतदान से पूर्व परिषद में चीन के राजदूत चेन शू ने मानवाधिकार के मसले पर घेरे जाने को खतरनाक बताया। कहा, आज चीन को घेरा जा रहा है, कल किसी अन्य विकासशील देश को इसी तरह से निशाना बनाया जाएगा। चीन ने कहा, दुष्प्रचार के जरिये अपने खिलाफ उठाए जाने वाले किसी भी कदम से वह सख्ती से निपटेगा। शिनजियांग अपनी खूबियों के चलते हैरान करने वाली जगह है। उसको लेकर दुष्प्रचार न किया जाए।
श्रीलंका पर आए प्रस्ताव से दूर रहा भारत
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने श्रीलंका के संबंध में आए प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। इसमें श्रीलंका में रहने वाले तमिलों के कल्याण कार्यक्रमों को बढ़ावा देने, जवाबदेही तय करने और मानवाधिकारों का पालन के प्रावधान हैं। श्रीलंका से इन प्रावधानों को लागू करने के लिए कहा गया है। भारत ने इस प्रस्ताव से संबंधित मतदान में भाग नहीं लिया। 47 सदस्यों वाली परिषद में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी समेत 20 सदस्य देशों ने प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया जबकि चीन और पाकिस्तान सहित सात देशों ने प्रस्ताव के विरोध में मत दिया। भारत, जापान, नेपाल और कतर सहित 20 देश मतदान से दूर रहे। मतदान से पूर्व हुई चर्चा में भारत ने श्रीलंका सरकार से तमिलों के कल्याण के लिए पूर्व में किए गए वादों को पूरा करने का अनुरोध किया।