बिहार में इंटरनेट मीडिया पर अब अभद्र टिप्पणी करने वालों की खैर नहीं है। नीतीश सरकार ने ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश जारी किए हैं। इस मुद्दे को लेकर राज्य की राजनीति गरमा गई है। विपक्ष ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। हालांकि आइटी एक्ट के तहत ऐसा करना पहले से ही दंडनीय अपराध है। फिर भी सत्ता और विपक्ष में बयानबाजी तेज हो गई।
आर्थिक अपराध इकाई ने आदेश जारी कर कहा है कि इंटरनेट मीडिया के विभिन्न् माध्यमों से मंत्री, सांसद, विधायक और सरकारी सेवकों के खिलाफ अभद्र एवं अमर्यादित टिप्पणी करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। आदेश जारी होते ही कांग्रेस, राजद और वामदलों के नेता सरकार को कटघरे में खड़ा करने लगे। उनका कहना है कि जब पहले से ही ऐसा प्रावधान है तो सरकार को आदेश जारी करने की जरूरत क्यों महसूस हुई।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला, प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा और प्रेमचंद मिश्रा ने आरोप लगाया कि भाजपा के साथ उसके जदयू जैसे बचे-खुचे सहयोगी दलों ने भी अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश को ही शासन का माध्यम मान लिया है।
तेजस्वी ने राज्य सरकार की तुलना हिटलर से की है। कहा है कि प्रदर्शनकारी चिह्नित स्थल पर प्रदर्शन नहीं कर सकते। सरकार के खिलाफ लिखने पर जेल भेज दिया जाएगा। आम आदमी समस्या लेकर विपक्ष के नेता से नहीं मिल सकता। यह कैसा लोकतंत्र है।
विपक्ष के हमले पर भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने भी पलटवार किया। उन्होंने कहा कि इंटरनेट मीडिया का दुरुपयोग समाज में हो रहा है। इसे रोकने के लिए कुछ नियम होना जरूरी है। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने कहा कि इंटरनेट मीडिया के जरिये कई दंगाई तत्व समाज में भाईचारा खत्म करने पर तुले हैं। ऐसे तत्वों पर सरकार कार्रवाई कर रही है तो विपक्ष को इतना खौफ क्यों सता रहा है?