प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश का इंफ्रास्ट्रक्चर व संपति किसी राजनीतिक दल का नहीं, बल्कि देश का भविष्य होता है। यहां एक और मानसिकता का जिक्र करना जरूरी है। प्रदर्शनों और आंदोलनों की मानसिकता देश की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की है। यह इंफ्रास्ट्रक्चर व संपति किसी नेता, दल की नहीं है बल्कि जनता की है और करदाताओं की है। गरीब ने अपने पेट काटकर पैसा दिया तब यह इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हुआ है। इसलिए हमें राष्ट्रीय दायित्व नहीं भूलना चाहिए। जिस रेलवे को नुकसान पहुंचाया जाता है, वही मुश्किल समय में काम आती है। राशन पहुंचाने से लेकर कोराना अस्पताल तक में रेलवे की भूमिका अहम रही है। वह मंगलवार को ईस्टर्न डीएफसी कंट्रोल रूम का वर्चुअल तौर पर उद्घाटन के बाद संबोधित कर रहे थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज रेलवे के लिए ऐतिहासिक दिन है। खुर्जा-भाऊपुर के बीच जब मालगाड़ी चलेगी तो नई गर्जना होगी। यह आत्मनिर्भर भारत की गूंज है। ईस्टर्न डीएफसी का कंट्रोल रूम सबसे बड़ा कंट्रोलिंग सिस्टम है। इसे की तकनीक से तैयार किया गया है। आर्थिक रफ्तार को गति देने के लिए प्रयास तेज किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि डीएफसी हमारे खेतों, उद्योगों के लिए लाभकारी होंगे। तैयार उत्पाद भेजने या कच्चा माल मंगाने के लिए सबसे बड़ा माध्यम हमेशा से रेलवे रहा है। आबादी और उत्पादन बढऩे से रेलवे पर दबाव बढ़ा। यात्री ट्रेन और मालगाड़ी एक ही ट्रैक पर चलने से दिक्कत थी। ईस्टर्न और वेस्टर्न डीएफसी के तैयार होने के बाद यात्री ट्रेन की लेटलतीफी की समस्या दूर होगी और मालगाड़ी की स्पीड भी तीन गुना हो सकेगी। माल ढोने की क्षमता भी दोगुनी होगी। इसके अलावा सामान पहुंचाने का खर्च कम होगा तो इससे सामान भी सस्ता होगा। निर्यात के अवसर भी बढ़ेंगे और रोजगार के भी अवसर मिलेंगे।
ईस्टर्न डीएफसी का 60 फीसद हिस्सा उत्तर प्रदेश में है, इसलिए अधिक फायदा उत्तर प्रदेश के जिलों को मिलेगा। साथ ही किसान रेल को भी फायदा मिलेगा। उत्तर प्रदेश में भी किसान रेल से कई स्टेशन जुड़ चुके हैं। यहां के रेलवे स्टेशनों के भंडारण की क्षमता भी बढ़ाई जा रही है। यूपी में आठ नए गुड शेड्स बनाए गए हैं। यह प्रोजेक्ट 2014 के पहले की सरकार की कार्य संस्कृति का जीता जागता उदाहरण है। 2006 के इस प्रोजेक्ट पर जिस तेजी से राज्यों से बात होनी चाहिए थी, नहीं किया गया। यह योजना अटक गई, भटक गई। 2014 तक एक किमी भी ट्रैक नहीं बिछा था। लिहाजा बजट 11 गुना अधिक बढ़ गया। करीब 45 हजार करोड़। हमारी सरकार ने तेजी से इस बारे में बात आगे बढ़ाई। आठ साल में एक भी किमी ट्रैक नहीं था जबकि 2014 के बाद 1100 किमी ट्रैक तैयार हो गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले फोकस ट्रेनों की संख्या बढ़ाने पर होती थी क्योंकि चुनाव में वोट मिल जाए, ट्रैक पर कभी ध्यान ही नहीं दिया गया। रेलवे को जोखिम भरा स्ट्रक्चर बना दिया गया था। हमने घोषणा करके भूल जाने वाली संस्कृति को दरकिनार कर रेल नेटवर्क और इसकी बेहतरी पर काम करना शुरू किया। अब भारतीय रेल पहले से अधिक सुरक्षित हुई है। रेलवे में स्वच्छता, भोजन व अन्य सुविधाओं का फर्क अब दिखता है। रेलवे मैन्युफैक्चरिंग में बहुत व्यापक सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि बनारस रेल इंजन कारखाना और रायबरेली कोच फैक्ट्री का काम और नाम बढ़ा है। यहां से इंजन और कोच अब निर्यात हो रहा है।