EKhabri (प्रीति शुक्ला)
बचपन से हमारा पसंदीदा त्यौहार दीपावली रही है। वजह साफ है, पटाखे और मिठाईयां, किसी भी बच्चे की दो सबसे पसंदिदा चीजें। उस वक्त तो हम पूरी शिद्दत से है इस त्यौहार का इंतजार करते थे क्योंकि हमें नए कपड़े मिलते थे, घर की साफ सफाई के दौरान पैसे और कुछ ना कुछ बचपन से जुड़ी चीज मिल ही जाती थी।
पुरानी किताबे देखकर तो मन खुश जो जाता था।
दीपावली के दिन पूजा खत्म होने का इंतजार करते थे ताकी दोस्तों के साथ पटाखे जला सकें।
लेकिन आज जब हम बड़े हो गए हैं तो यूं लगता है मानो त्यौहार फ़िके हो गए हैं। मेहंगाई ने हमारी बुरी तरह से कमर तोड़ दी है।
कुछ हद तक ये बात सही है पर फिर ये भी सच है कि अब हमने उत्सव को उत्साह के साथ मनाना छोड़ दिया है। मन की उमंगों के साथ हिलोरे खाने के बजाय उससे भागने लगे हैं।
उत्सव तो आज भी वही है, बस जरूरत है तो बचपन वाले उत्साह को इसमे शामिल करने की। फ़िर देखियेगा लौट आएगा वो बरसों पुराना पसंदीदा त्यौहार।