पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू, सिख और ईसाई लड़कियों को अगवा कर उनका बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। बाद में उनकी मुस्लिम से शादी करा दी जाती है। अमेरिका स्थित सिंधी फाउंडेशन के अनुसार हर साल एक हजार से ज्यादा हिंदू व सिंधी लड़कियों का अपहरण किया जा रहा है। इन मामलों में सरकार, पुलिस और अदालत भी चुप्पी साधे रहती है।
बीते दिनों पाकिस्तान में एक ईसाई लड़की के अपहरण के मामले में सरकार, पुलिस और अदालत तीनों की कलई खुल गई है। गुजरांवाला में साढ़े तेरह वर्षीय एक ईसाई लड़की का मुस्लिमों ने अपहरण किया और उसकी तीन बच्चों के पिता से जबरन शादी करा दी। इस गंभीर अपराध को कानूनी जामा पहनाने के लिए युवती का अदालत में जबरन बयान दिलवा दिया गया। आश्चर्य तो यह है कि अदालत में जज ने भी नाबालिग लड़की की शादी को वैध बताकर मुल्जिमों को रिहा कर दिया। अब पीड़ित का पिता शाहिद गिल न्याय की गुहार कर रहा है और पाक का पूरा तंत्र खामोश है।
डान अखबार के अनुसार पीड़ित ने बताया कि उसकी लड़की के नाबालिग होने के बाद भी धमकी देकर दिलाए गए बयान को अदालत ने मान लिया। पाक में बाल विवाह निरोधक एक्ट 1929 के अनुसार 18 साल से कम उम्र के लड़के और 16 साल से कम उम्र की लड़की की शादी अवैध है। अदालत ने सुनवाई के बाद कहा, वह युवती के बयान पर अपना निर्णय देगी।
गिल ने कहा कि उसकी लड़की को बीस मई को कुछ मुस्लिम अगवा कर ले गए थे। इसकी रिपोर्ट फिरोजवाला थाने में दर्ज कराई थी। पुलिस ने इस संबंध में दो लोगों को गिरफ्तार किया था।