केंद्र सरकार ने संसद में माना कि केयर्न एनर्जी की याचिका पर फ्रांस की अदालत ने पेरिस में भारतीय संपत्तियों को फ्रीज करने का आदेश दिया है। दरअसल रेट्रो टैक्स मुद्दे पर मुकदमा जीतने के बाद कंपनी भारत सरकार से 1.72 अरब डालर (12,600 हजार करोड़ रुपये से अधिक) की वूसली पर अड़ी है। इसके लिए उसने दुनिया की कई अदालतों में मुकदमा दायर कर रखा है।
वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में कहा कि सरकार ने केयर्न एनर्जी के पक्ष में दिए गए फैसले के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण में अपील की है। हालांकि उन्होंने बयान में यह नहीं बताया कि फ्रांस की अदालत ने किन संपत्तियों को फ्रीज किए जाने का आदेश दिया है। एक महीने पहले इस तरह की खबरें आई थीं कि कोर्ट ने पेरिस स्थित 20 महत्वपूर्ण संपत्तियों को फ्रीज करने का आदेश दिया है। इसमें से अधिकांश फ्लैट हैं और इनकी कुल कीमत दो करोड़ यूरो (176 करोड़ रुपये) से अधिक है।
केयर्न एनर्जी ने वर्ष 1994 में भारत में तेल एवं गैस क्षेत्र में निवेश किया था। एक दशक बाद इसने राजस्थान में तेल की एक बड़ी खोज की। वर्ष 2006 में कंपनी बीएसई में सूचीबद्ध हुई। पांच साल बाद सरकार ने रेट्रोएक्टिव टैक्स (पिछले समय से कर वसूली) कानून पारित किया और केयर्न को 10,247 करोड़ रुपये टैक्स की मांग की। इसके साथ ही सरकार ने कंपनी पर जुर्माना भी लगाया। इसकी वसूली के लिए सरकार ने भारतीय इकाई में केयर्न के शेयरों को जब्त करने के साथ ही टैक्स रिफंड भी रोक दिया। इस फैसले को केयर्न ने हेग स्थित एक मध्यस्थता न्यायाधिकरण्ा के समक्ष चुनौती दी। दिसंबर, 2020 में न्यायाधिकरण्ा ने केयर्न के पक्ष में फैसला देते हुए सरकार को 1.2 अरब डालर देने का आदेश्ा दिया। लागत और ब्याज सहित यह रकम 1.725 अरब डालर (12,600 करोड़ रुपये) बैठती है।