मुंबई। केंद्रीय कैबिनेट ने डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉपोर्रेशन एक्ट संशोधन बिल को मंजूरी दे दी है। इस बिल को मंजूरी मिलने के बाद बैंक के बंद होने या डूबने की स्थिति में ग्राहकों की 5 लाख रुपए तक की रकम सुरक्षित रहेगी। डिपॉजिटर्स को 90 दिन के भीतर यह रकम मिल जाएगी। अभी ग्राहकों की बैंक में जमा एक लाख रुपए तक की रकम ही सुरक्षित होती है।
हालांकि सरकार 2020 में ही डिपॉजिट इंश्योरेंस की लिमिट 5 गुना बढ़ाने का ऐलान कर चुकी थी, लेकिन इसे कैबिनेट की मंजूरी अब मिली है। अभी इसे संसद की मंजूरी मिलना बाकी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि बिल को संसद के मानसून सत्र में ही पेश किया जाएगा।पंजाब एंड महाराष्ट्र को-आॅपरेटिव बैंक के 2020 में डूबने के बाद डिपॉजिट इंश्योरेंस बढ़ाने का फैसला लिया था। केंद्रीय बजट में भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉपोर्रेशन एक्ट, 1961 में संशोधन का ऐलान किया था, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के चलते बजट सत्र को स्थगित कर दिया गया था।
पीएमसी, लक्ष्मी विलास और यस बैंक के ग्राहकों को मिलेगा फायदा
सरकार ने डिपॉजिट इंश्योरेंस में 1993 के 27 साल बाद पहली बार बदलाव किया है। ताजा फैसला 4 फरवरी 2020 से लागू होगा। यानी पीएमसी , लक्ष्मी विलास बैंक और यस बैंक के ग्राहकों को भी इसका फायदा मिलेगा। डीआईसीजीसी एक्ट 1961 की धारा 16 (1) के मुताबिक अगर कोई बैंक डूब जाता है या दिवालिया हो जाता है, तो डीआईसीजीसी प्रत्येक जमाकर्ता को पेमेंट करने के लिए जिम्मेदार होता है, क्योंकि जमाकतार्ओं द्वारा जमा की गई रकम पर 1 लाख रुपए तक का बीमा होता है। इसी लिमिट को सरकार ने बढ़ाकर 5 लाख कर दिया है।
बैंक में एक से ज्यादा अकाउंट में भी 5 लाख रुपए की ही होगी गारंटी
डिपॉजिट इंश्योरेंस के तहत, ग्राहक के कुल 5 लाख रुपए ही सुरक्षित होते हैं। अगर ग्राहक का एक ही बैंक की कई ब्रांच में अकाउंट है, तो सभी अकाउंट में डिपॉजिट अमाउंट और ब्याज जोड़कर 5 लाख तक की रकम ही सुरक्षित मानी जाएगी। इसमें मूलधन और ब्याज दोनों शामिल होंगे।