रक्षा मंत्रालय से परामर्श कर शिक्षा मंत्रालय पिछले 75 वर्षों के दौरान सैनिकों की वीरता को विद्यालय के पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों में शामिल करने के लिए काम करेगा। बच्चों में कम आयु से ही ‘राष्ट्र के प्रति दायित्व” की भावना प्रबल करने के लिए स्वतंत्रता के बाद भारत की वीरगाथा को भी स्कूली किताबों का हिस्सा बनाया जाएगा। यह बात केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को ‘वीर गाथा” प्रतियोगिता (सुपर 25) के 25 विजेताओं को पुरस्कृत करने के लिए आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए प्रधान ने यह बात कही।
वीर गाथा का आयोजन ‘आजादी का अमृत महोत्सव” के तहत किया गया। इसका आयोजन सशस्त्र बलों के वीरतापूर्ण कार्यों और बलिदानों के बारे में बच्चों को प्रेरित करने और जागरूकता फैलाने के लिए किया गया था। यह प्रतियोगिता पिछले साल 21 अक्टूबर से लेकर 20 नवंबर की बीच राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की गई। 4,788 स्कूलों के 8.04 छात्रों को निबंध, कविता, पेंटिंग और मल्टी मीडिया प्रस्तुतीकरण के जरिये इसमें भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया। कई दौर के मूल्यांकन के बाद 25 छात्रों को सुपर 25 चुना गया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जब मैं सुपर 25 प्रतियोगिता के लिए प्रविष्टियों को देख रहा था, तो मैंने महसूस किया कि देश भर के बच्चे देशभक्ति के एक ही धागे से बंधे हैं। जब मैं इन बच्चों से मिला, तो मुझे लगा कि वर्तमान और भविष्य एक साथ देख रहा हूं।