आज गुरु प्रदोष व्रत है। इस दिन भगवान की असीम कृपा आपको मिल सकती है। इस प्रदोष व्रत को करने से भगवान शिव के साथ ही भगवान विष्णु की कृपा का भी लाभ मिलता है। माना जाता है कि गुरु प्रदोष का व्रत करने वाले को 100 गाय को दान करने के समान फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में बताए गए नियमों के अनुसार कोई भी व्रत तब भी पूर्ण माना जाता है जब आप पूजा के वक्त उसकी कथा का भी पाठ करते हैं।
प्रदोष व्रत पूजन विधि
प्रदोष व्रत करने वाले व्यक्तियों को सबसे पहले त्रयोदशी के दिन यानी प्रदोष व्रत के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए। इसके बाद स्नान आदि करने के बाद साफ कपड़े पहनने के बाद मंदिर या पूजा वाली जगह को साफ कर लें। इस दिन की पूजा में बेल पत्र, अक्षत, धूप, गंगा जल इत्यादि अवश्य शामिल करें और इन सब चीजों से भगवान शिव की पूजा करें। इस व्रत में भोजन बिल्कुल भी नहीं किया जाता क्योंकि यह व्रत निर्जला किया जाता है। इस तरह पूरे दिन उपवास करने के बाद सूर्यास्त से कुछ देर पहले यानी शाम के समय दोबारा स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
दोबारा पूजा वाली जगह को शुद्ध करें. गाय के गोबर से मंडप तैयार करें। इसके बाद पांच अलग-अलग तरह के रंगों की मदद से इस मंडप में एक रंगोली बना लीजिए। उत्तर पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके कुशा के आसन पर बैठें. भगवान शिव के मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करते हुए भगवान शिव को जल चढ़ाएं।इसके साथ ही आप जिस दिन का प्रदोष व्रत कर रहे हैं उस दिन से जुड़ी प्रदोष व्रत कथा पढ़ें और सुनें।