भगवान की मूर्ति हर घरों में होती है, क्या लेकिन आपको पता है आपने इन्हें किस दिशा में रखा है ? पूजा करते समय हम लोगों को देव प्रतिमा का मुख सही दिशा में रखने जैसी छोटी से छोटी बात का भी ध्यान रखना चाहिए, जिससे हमारे और आपके जैसे साधारण लोग अपने मन को पृथ्वी की चुंबकीय शक्ति से विचलित ना होने दें और एकाग्र होकर पूजा-पाठ कर सकें। इसी उद्देश्य से आइये समझें कि हमारे पूजा कमरे में भगवान की प्रतिमा का मुख किस ओर होना चाहिए।
शिवलिंग को पूर्व या उत्तर दिशा में रखना शुभ माना जाता है। ज्योतिर्लिंग का मुख हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए क्योंकि कैलाश पर्वत उत्तर में स्थित है और पूर्व को शिव की दिशा माना जाता है।
गणेश भगवान की फोटो ऐसी जगह लगायें कि उनकी दृष्टि आपके पूरे घर पर अंदर की ओर पड़ रही होनी चाहिए। भगवान शिव की दिशा उत्तर दिशा की मानी गयी है, इसलिए शिवलिंग का मुख उत्तर की दिशा की ओर रखें। उनके साथ आपने नंदी जी भी रखे हैं तो उनका मुख शिवलिंग या भगवान भोलेनाथ की प्रतिमा की ओर रखें। पूजा करते समय यदि आप की पश्चिम की तरफ पीठ हो और पूर्व की ओर मुँह करके आप पूजा करें तो यह सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि गणपति भगवान की प्रतिमा कभी भी ऐसी जगह नहीं लगानी चाहिए जहाँ उनकी दृष्टि घर के बाहर की ओर पड़ रही हो अन्यथा घर की सुख-समृद्धि बाहर चली जाती है।
सुनिश्चित करें कि गणेश भगवान की फोटो ऐसी जगह लगायें कि उनकी दृष्टि आपके पूरे घर पर अंदर की ओर पड़ रही होनी चाहिए। भगवान शिव की दिशा उत्तर दिशा की मानी गयी है, इसलिए शिवलिंग का मुख उत्तर की दिशा की ओर रखें। उनके साथ आपने नंदी जी भी रखे हैं तो उनका मुख शिवलिंग या भगवान भोलेनाथ की प्रतिमा की ओर रखें। पूजा करते समय यदि आप की पश्चिम की तरफ पीठ हो और पूर्व की ओर मुँह करके आप पूजा करें तो यह सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
कुछ देवों की पूजा-आराधना विशेष प्रकार से होती है और हम सबको शास्त्रों में वर्णित उन प्राचीन मान्यताओं का सम्मान करना चाहिए। शनि भगवान को पूजा कक्ष या घर में ना रखें और मंदिर में जा कर उनकी पूजा करें तो बेहतर होगा क्योंकि उनकी प्रतिमा से आंखें मिलाने का मतलब है कुछ अनिष्ट होना।
मंदिर में भी शनि देव की पूजा करते समय ध्यान रखें की आपकी दृष्टि उनके चेहरे पर ना जा कर चरणों की तरफ ही रहे। लड्डू गोपाल यदि आपने घर के मंदिर में रखे हैं तो बच्चे की तरह उनकी विधिवत देखभाल करें। रोज उन्हें स्नान करायें, आरती करें और माखन मिश्री का भोग लगायें, तामसिक चीजों का त्याग करें और पूजा का कमरा बंद ना रखें।
यदि पूजा कमरे में गणेश भगवान की मूर्ति लगा रहे हैं तो गणेश जी के साथ लक्ष्मी जी की मूर्ति भी अवश्य लगायें और पूजा स्थल पर मध्य में रखें। यह भी ध्यान रखें कि पूजा कमरे में किसी भी देवता की मूर्ति या फोटो कभी भी ढक कर ना रखी गयी हो, देवों को ज़मीन पर ना रखें और किसी भी देव प्रतिमा का मुख कभी भी दक्षिण की तरफ ना हो।