प्रसिद्ध गीतकार जावेद अख्तर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और अन्य दक्षिणपंथी संगठनों की तुलना तालिबान से कर दी। इसके बाद इसका चौतरफा विरोध शुरू हो गया। 76 वर्षीय जावेद अख्तर भाजपा, महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के निशाने पर आ गए हैं। उनकी टिप्पणी से आहत लोगों के गुस्से के बचाने के लिए मुंबई में जावेद अख्तर आवास के बाहर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
गौर हो कि अख्तर ने हाल में एक न्यूज चैनल से बातचीत में आरएसएस का नाम लिए बिना कहा था कि दुनियाभर के दक्षिणपंथियों में अद्भुत समानता है।तालिबान एक इस्लामिक मुल्क चाहता है। ये लोग हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं।
भाजपा विधायक और पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के प्रवक्ता राम कदम ने अख्तर की टिप्पणी की निंदा करते हुए कहा कि जब तक वह अपनी टिप्पणी के लिए माफी नहीं मांगते, ऐसी किसी फिल्म के प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जाएगी, जिसमें जावेद अख्तर शामिल होंगे। इतना ही नहीं राज्य में सत्तारूढ़ और भाजपा की पूर्व सहयोगी शिवसेना ने भी आरएसएस का बचाव किया है। अख्तर के बयान को गलत बताते हुए शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कहा, ‘आप यह कैसे कह सकते हैं कि जो हिंदू राष्ट्र की अवधारणा का समर्थन करते हैं, उनकी मानसिकता तालिबानी है? हम इससे सहमत नहीं हैं।”
सामना के संपादकीय में कहा गया है, ‘जावेद अख्तर एक पंथनिरपेक्ष व्यक्ति हैं और कट्टरता के खिलाफ बोलते हैं, लेकिन आरएसएस की तुलना तालिबान से करने में वह पूरी तरह गलत हैं। हिंदू राष्ट्र का प्रचार करने वालों का रुख उदार है। विभाजन के बाद पाकिस्तान का निर्माण धर्म पर आधारित था। हिंदू राष्ट्र का समर्थन करने वाले सिर्फ इतना चाहते हैं कि बहुसंख्यक हिंदुओं को हाशिए पर नहीं डाला जाना चाहिए। हिंदुत्व एक संस्कृति है और इस समुदाय के लोग उन लोगों को रोकने का अधिकार मांगते हैं जो इस संस्कृति पर हमला करते हैं।” शिवसेना का कहना है, हिंदुत्व की तालिबान से तुलना हिंदू संस्कृति का अपमान है। हिंदू बहुल देश होने के बावजूद हमने पंथनिरपेक्षता का झंडा बुलंद किया है। आपके आरएसएस के साथ मतभेद हो सकते हैं, लेकिन उनके दर्शन को तालिबानी कहना पूरी तरह गलत है।
विहिप ने भी अख्तर की आलोचना करते हुए उनकी टिप्पणी को समाज को भ्रमित करने की साजिश करार दिया और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा, ‘तालिबान एक आतंकी संगठन है जो हिंसा में विश्वास करता है और महिला विरोधी है। आरएसएस, विहिप और बजरंग दल के साथ ऐसे संगठनों की तुलना… मैं उनके बयान की निंदा करता हूं। ये तीनों संगठन हिंसा में विश्वास नहीं करते और किसी के खिलाफ काम नहीं करते। वे सामाजिक सेवा करते हैं। यह साजिश की तरह लगता है, जब ऐसे बड़े लोग इस तरह के बयान देते हैं तो समाज भ्रमित हो जाता है। उनके बयान का मकसद झूठ बोलकर समाज को भ्रमित करने का था।”