शिवनगरी काशी को पूरी दुनिया में मोक्षदायिनी काशी के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है यहां मरने वाले सीधे मोक्ष धाम की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता है कि यहां यमराज का शासन नहीं चलता। यहां प्राण त्यागने वालों को खुद भगवान शिव तारक मंत्र प्रदान करते हैं। अध्यात्म से जुड़े मोक्ष के इस गूढ़ रहस्य को विज्ञान नहीं मानता लेकिन इस बार बनारस में जो हुआ है, उसने सभी को चौंका दिया।
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) आईएमएस के एक एमबीबीएस छात्र ने अध्यात्म की राह पर आगे बढ़ते हुए गंगा में जल समाधि लेकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर दी। मूल रूप से बिहार के रहने वाले बीएचयू के एमबीबीएस छात्र नवनीत पराशर के ऐसा करने से सब सन्न रह गए। बीती 8 जून से लापता नवनीत पराशर का शव मिर्जापुर के विंध्यवासिनी दरबार के पास गंगा में उतराता मिला।
बता दें कि काशा के मणिकर्णिका घाट में कभी चिताओं की आग शांत नहीं होती। शायद इसीलिए यहां हर साल न जाने कितने लोग मोक्ष की तलाश में आते हैं। इसीलिए गंगा किनारे कई मठ और मंदिरों में बुजुर्ग यहां मरने की इच्छा से मोक्ष की चाह में जिंदगी बिताते हैं, लेकिन नवनीत के मामले में लोगों को यकीन नहीं हो रहा है कि कोई मेडिकल स्टूडेंट ऐसा कदम उठा सकता है।
वाराणसी के लंका थाना पुलिस ने जब पूरे मामले की तफ्तीश की तो ये तथ्य सामने आया। लंका थानाध्यक्ष अश्विनी कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि जांच के बाद प्रथम दृष्टया यही तथ्य सामने आया है कि नवनीत का जीवन अध्यात्म की ओर पूरी तरह से मुड़ गया था, जिसके बाद उसने ये कदम उठाया। किसी से कोई गिला कोई शिकवा नहीं।
बीएचयू के धन्वतरी हॉस्टल में रहने वाले नवनीत पराशर अचानक से गायब हो गए। आठ जून के बाद से उनका कोई पता नहीं चला। वाराणसी के लंका थाने में गुमशुदगी का मामला दर्ज हुआ। पिता ने बताया कि आखिरी बार जब बात हुई तो उसने हर महीने से कुछ ज्यादा रुपए मांगे। पूछने पर बताया कि रुद्राक्ष की माला समेत कुछ अन्य अध्यात्म से जुड़ा सामान खरीदना है। हॉस्टल छोड़ने से पहले नवनीत ने साथी छात्रों से बात करनी बंद कर दी थी। फिर भी पुलिस ने पूछताछ की तो किसी ने बताया कि विंध्यवासिनी जाने की बात कह रहा था।
लंका थाना पुलिस ने मिर्जापुर में तलाश किया तो वहां गंगा में नवनीत की लाश मिली। इसके बाद पुलिस ने विंध्यवासिनी दरबार में लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगाला तो नवनीत एक नारियल और सिंदूर खरीदते दिखा। पड़ताल में पता चला कि गंगा में नहाने के बाद उन्हीं गीले कपड़ों में मां विंध्यवासिनी के उसने दर्शन किए। इसके बाद जिस पंडा से उसकी अंतिम बार बातचीत हुई, उसको दक्षिणा में अपनी बाइक की चाबी सौंप दी। उसके बाद पैर में लगी मिट्टी को साफ करने की बात कहकर वो गंगा की ओर चल पड़ा लेकिन उसक बाद वो नहीं लौटा। घाट किनारे सीढ़ियों पर ही नारियल और सिंदूर रख दिया। फिर न जाने वो गंगा में कहां गुम गया। इसके बाद उसकी लाश मिली।
पुलिस का मानना है कि नवनीत पूरी तरह से अध्यात्म की ओर मुड़ गया था. शायद इसीलिए मोक्ष की तलाश में उसने गंगा में जल समाधि ले ली। इस मामले में पुलिस पड़ताल अभी जारी है। बीएचयू के धन्वंतरी हॉस्टल के जिस कमरा नंबर 18 में नवनीत रहता था, उसे पुलिस जांच के लिए फिलहाल सील कर दिया गया। इकलौते बेटे की मौत से मां-बाप सुध खो बैठे हैं तो साथी छात्र छात्राएं गमजदा हैं। वहीं बीएचयू आईएमएस के पूर्व चिकित्सा अधीक्षक डॉ विजय नाथ मिश्रा ने प्रकरण में जांच कर तंत्र-मंत्र से जुड़े लोगों पर भी कार्रवाई की मांग की है।