नई दिल्ली। किसानों के हठ के आगे आखिरकार मोदी सरकार को झुकना पड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों विवादित कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया है। इस ऐलान के लिए दिन चुना गया प्रकाश पर्व का। पीएम ने शुक्रवार को राष्ट्र के नाम 18 मिनट के संबोधन में यह बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि सरकार ये कानून काश्तकारों के हित में नेक नीयत से ये लाई थी, लेकिन हम कुछ किसानों को समझाने में नाकाम रहे।
किसान नेता राकेश टिकैत बोले- संसद में कानूनों के रद्द होने तक आंदोलन वापस नहीं लेंगे
मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि हम पूरी विनम्रता से किसानों को समझाते रहे। बातचीत भी होती रही। कानून के जिन प्रावधानों पर उन्हें ऐतराज था उन्हें सरकार बदलने को तैयार हो गई। साथियों आज गुरु नानक देवजी का पवित्र पर्व है यह समय किसी को दोष देने का नहीं है। मैं आज पूरे देश को यह बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया है। इसी महीने हम इसे वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी कर देंगे। सिंघु और टीकरी समेत दिल्ली के बॉर्डर्स पर किसान तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ बीते 14 महीने से आंदोलन कर रहे थे। अब सरकार के फैसले के बाद किसान संयुक्त मोर्चा के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि हम तुरंत आंदोलन वापस नहीं लेंगे, बल्कि इन्हें संसद में वापस लेने का इंतजार करेंगे।
प्रकाश पर्व की शुभकामनाओं के साथ शुरुआत की
मोदी ने कहा, ‘मेरे प्यारे देशवासियों आज देव दीपावली का पावन पर्व है। आज गुरु नानक देव जी का भी पावन प्रकाश पर्व है। मैं विश्व में सभी लोगों और सभी देशवासियों को बधाई देता हूं। यह भी बेहद सुखद है कि डेढ़ साल बात करतारपुर साहिब कॉरिडोर फिर से खुल गया है। गुरुनानक देव जी ने कहा है कि संसार में सेवा का मार्ग अपनाने से ही जीवन सफल होता है। हमारी सरकार इसी सेवा भावना के साथ देशवासियों का जीवन आसान बनाने में जुटी है। न जाने कितनी पीढिय़ां जिन सपनों को सच होते देखना चाहती थीं, भारत उन्हें साकार करने की कोशिश कर रहा है।
हम छोटे किसानों के फायदे के लिए तीनों कृषि कानून लाए थे
मोदी ने कहा कि किसानों की ताकत बढ़ाने के लिए दस हजार एफपीओ किसान उद्पादक संगठन बनाने की भी प्लानिंग है, इस पर 7 हजार करोड़ रुपए का फंड खर्च किए जा रहे हैं। हमने क्रॉप लोन बढ़ा दिया। यानी हमारी सरकार किसानों के हित में लगातार एक के बाद एक कदम उठाती जा रही है। पूरी ईमानदारी से काम कर रही है। साथियों किसानों की इसी अभियान में देश में तीन कृषि कानून लाए गए थे। देश के किसानों को खासकर छोटे किसानों को फायदा हो। यह मांग देश में लंबे समय से होती रही थी। पहले भी कई सरकारों ने इस पर मंथन किया था। इस बार भी संसद में चर्चा हुई मंथन हुआ और यह कानून लाए गए। देश में अनेक किसान संगठनों ने इसका संमर्थन किया। मैं आज उन सभी का बहुत-बहुत आभारी हूं। धन्यवाद करता हूं।
मोदी ने कहा- नेक नीयत से कानून लाए, लेकिन समझा नहीं पाए
हमारी सरकार किसानों के लिए खासकर छोटे किसानों के हित में पूरी सत्य निष्ठा से किसानों के प्रति पूर्ण समर्पण भाव से यह कानून लेकर आई थी, लेकिन यह हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। हम पूरी विनम्रता से किसानों को समझाते रहे। बातचीत भी होती रही। हमने किसानों को समझने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कानून के जिन प्रावधानों पर उन्हें ऐतराज था, उन्हें सरकार बदलने को तैयार हो गई। साथियों आज गुरु नानक देवजी का पवित्र पर्व है। यह समय किसी को दोष देने का नहीं है। मैं आज यह पूरे देश को यह बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया है। इसी महीने हम कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया पूरी कर देंगे।
भूपेश बघेल ने कहा- किसानों को बधाई, ये अन्याय के खिलाफ लोकतंत्र की जीत
रायपुर। केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने का फैसला कर लिया है। शुक्रवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि हम कृषि कानूनों को वापस ले रहे हैं। अब इसे लेकर कई तरह की सियासी प्रतिक्रिया सामने आ रही हैं। कांग्रेस पार्टी सोशल मीडिया पर इसे राहुल गांधी की जीत के तौर पर प्रोजेक्ट कर रही है। कई सियासी दिग्गजों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसे लेकर एक ट्वीट किया है। ष्टरू की सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा गया है – गांधीवादी आंदोलन ने एक बार फिर अपनी ताकत दिखाई है। केंद्र सरकार को तीन काले कानूनों को वापस लेने पर बाध्य करने के लिए देश के किसानों को बधाई। यह किसानों की ही नहीं, अन्याय के खिलाफ लोकतंत्र की जीत है।