औषधियों में नौदुर्गा – दिव्य सुरक्षा और स्वास्थ्य का स्रोत
ब्रह्माजी के दुर्गा कवच में वर्णित नवदुर्गा नौ विशेष औषधियों में विराजमान हैं।
- शैलपुत्री (हरड़)
हरड़, देवी शैलपुत्री का रूप, रोगों के इलाज में अद्भुत औषधि है। आयुर्वेद की प्रमुख औषधि है, जो पथया, हरीतिका, अमृता, हेमवती, कायस्थ, चेतकी और श्रेयसी जैसे सात प्रकार की होती है।
- ब्रह्मचारिणी (ब्राह्मी)
ब्राह्मी आयु और याददाश्त को बढ़ाकर, रक्तविकारों से निजात दिलाती है, इसलिए इसे सरस्वती भी कहा जाता है। -
चंद्रघंटा (चंदुसूर)
यह औषधि धनिए के समान है और मोटापा को कम करने में मदद करती है, इसलिए इसे चर्महंती भी कहते हैं। -
कूष्मांडा (पेठा)
इस औषधि से पेठा मिठाई बनती है और यह रक्त विकारों को दूर करने में मदद करती है, मानसिक रोगों में भी लाभकारी है। -
स्कंदमाता (अलसी)
देवी स्कंदमाता के रूप में अलसी में विद्यमान है और यह वात, पित्त और कफ रोगों के इलाज में मदद करती है। -
कात्यायनी (मोइया)
देवी कात्यायनी को आयुर्वेद में अम्बा, अम्बालिका, अम्बिका, और मोइया के नामों से जाना जाता है, और यह कफ, पित्त, और गले के रोगों के इलाज में मदद करती है। -
कालरात्रि (नागदौन)
देवी नागदौन के रूप में जानी जाती है, यह सभी प्रकार के रोगों में मददकारी है और मन और मस्तिष्क के विकारों को दूर करती है। -
महागौरी (तुलसी)
तुलसी, सफेद तुलसी, काली तुलसी, मरूता, दवना, कुढेरक, अर्जक, और षटपत्र जैसे सात प्रकार की होती है। ये रक्त को साफ करके हृदय रोगों के इलाज में मदद करती है। -
सिद्धिदात्री (शतावरी)
दुर्गा का नौवां रूप सिद्धिदात्री, जिसे नारायणी शतावरी कहा जाता है, बल, बुद्धि, और विवेक के लिए उपयोगी है।
नव दुर्गा से Ekhabri परिवार आपके अच्छे स्वास्थ की कामना करता है।