वाराणसी यानी बनारस का पिशाच कुंड ऐसी जगह है, जहां ‘अशांत’ आत्माओं के उद्धार के लिए अनुष्ठान और प्रार्थनाएं की जाती हैं। मान्यता है कि जब किसी की अप्राकृतिक मौत होती है तो उनकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है। ऐसे कई मामलों में वे करीबी लोगों और प्रियजनों को परेशान करते हैं। आमतौर पर समाज उन्हें भूत के रूप में संदर्भित करता है। पितृ पक्ष के दौरान वाराणसी के पिशाच कुंड में ऐसे ही भूतों से मुक्ति दिलाने का काम होता है। मगर कोरोना महामारी का असर वाराणसी के पिशाच कुंड पर भी पडा है। पितृ पक्ष के दौरान भी पूरा कुंड वीरान है।
पुजारी अरविंद पांडे ने बताया कि पितृ पक्ष के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से और यहां तक कि विदेशों से भी लोग ‘त्रिपिंडी श्राद्ध’ करने के लिए यहां आते हैं। इसमें तीन ब्राह्मण अनुष्ठान करते हैं। इससे आत्मा को मुक्ति मिलती है और फिर वे लोगों को परेशान नहीं करते हैं। इस रस्म का वर्णन स्कंद पुराण में भी मिलता है। इस मंदिर और कुंड का इतना महत्व है कि न केवल हिंदू बल्कि मुस्लिम समुदाय के लोग भी यहां अनुष्ठान करने जाते हैं। इन पारलौकिक शक्तियों को समझने के लिए अमेरिका, जापान, दक्षिण अफ्रीका और जर्मनी जैसे देशों से लोग हमारे पास आए हैं।
इस साल अधिकांश भक्त त्रिपिंडी श्राद्ध करने के लिए गया गए हैं। यहां जो अनुष्ठान किया जाता है, उसे ऑनलाइन नहीं किया जा सकता है। इसमें भक्त की यहां उपस्थित होना जरूरी है। लिहाजा अब हमें यहां भक्तों के आगमन के लिए और परेशान आत्माओं को मुक्त करने के लिए एक साल तक इंतजार करना होगा।