नौ दिन होंगे बेहद शुभ
रायपुर। इस साल बसंत नवरात्र विशेष होगी। हर साल नवरात्रि के समय तिथि के अनुसार माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं। यानी माता सिंह की बजाय दूसरी सवारी पर सवार होकर भी पृथ्वी पर आती हैं और नवरात्रि के बाद अलग अलग सवारी पर जाती है। वाहन का निर्धारण वार के अनुसार होता है। अगर सोमवार व रविवार को प्रथम पूजा यानी कलश स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर आती हैं।
शनिवार तथा मंगलवार को कलश स्थापना होने पर माता का वाहन घोड़ा होता है। गुरुवार अथवा शुक्रवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता डोली पर चढ़कर आती हैं। बुधवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता नाव पर सवार होकर आती हैं।
इस वर्ष कलश स्थापना 2 अप्रैल यानि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा शनिवार के दिन है। इसलिए इस वर्ष माता घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं।
घोड़ा युद्ध का प्रतीक माना जाता है।
पंडित मनोज शुक्ला ने बताया की इस बार की नवरात्रि बहुत ही दुर्लभ योग संयोग से परिपूर्ण होगा।
नवरात्रि के इन 9 दिनों में
5 सर्वार्थसिद्धि योग ,
5 रवियोग ,
1 रविपुष्य योग है।
ऐसा माना जाता है इस तरह के योग संयोग में नवरात्रि पर्व पर देवी साधना विशेष फलदायक होता है।
*नौ दिन नौ शुभ संयोग*
2 अप्रैल – प्रतिपदा घट स्थापना (अभिजीत मुहूर्त में)
3 अप्रैल – द्वितीया सर्वार्थ सिद्धि योग
4 अप्रैल – तृतीया रवि योग
5 अप्रैल – चतुर्थी रवि / सर्वार्थ सिद्धियोग
6 अप्रैल -पंचमी रवि / सर्वार्थ सिद्धि योग
7 अप्रैल – षष्ठी रवि योग
8 अप्रैल – सप्तमी महानिशा पूजा सर्वार्थ सिद्धि योग
9 अप्रैल – अष्टमी हवन पूर्णाहुति रवियोग
10 अप्रैल- श्रीरामनवमी रविपुष्य / सर्वार्थसिद्धि योग
*नया संवत्सर – नल नाम*
विक्रम संवत , हिन्दू पंचांग में समय गणना की प्रणाली का नाम है। इस संवत के प्रणेता भारत के धर्मपाल, उज्जैन नरेश चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य को माना जाता है।
नया संवत को हिन्दू नववर्ष के रूप में मनाया जाता है।
2 अप्रैल 2022 से शुरू होगा हिंदू नव वर्ष
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सौरग्रह मंडल का राजा सूर्यदेव ही हैं लेकिन
जिस दिन नव संवत का आरम्भ होता है, उस दिन के वार के अनुसार उस वर्ष के आकाशीय राजा तथा अन्य पदाधिकारी गणों का निर्धारण होता है। जो कि पूरे वर्ष भर तक के लिये माने जाते हैं।
शनिवार के दिन से नव संवत का आरम्भ हो रहा है इसलिये इस संवत्सर में पूरे वर्ष भर के लिये शनिदेव राजा तथा देवगुरु बृहस्पति मंत्री के पद में रहेंगे।
इस नया सवंत के साथ अन्य शक व सन की गणना पूरे वर्ष में कुछ इस तरह से होगा।
विक्रम संवत -2079
शालिवाहन शक – 1944
ईसवी सन – 2022 – 23
फसली सन – 1429 – 30
हिजरी सन – 1443 – 44
बंग सन – 1428 – 29