मेरिका समेत दुनिया भर में करोड़ों लोग उम्र बढ़ने के साथ संज्ञानात्मक यानी सोचने-समझने की क्षमता खोने की समस्या से जूझ रहे हैं। हालांकि, डिमेंशिया, अल्जाइमर व सेरेब्रोवेस्कुलर बीमारियों का इसमें केवल 41 प्रतिशत ही हाथ है। इससे पहले के अध्ययनों में संज्ञानात्मक गिरावट की वजह में आनुवंशिक से लेकर बचपन के पोषण आदि को वजह माना गया था। लेकिन उम्र से इतर आनुपातिक महत्व वाले अन्य कई कारण अज्ञात थे।
नए अध्ययन में कई जीवन परिस्थितियों और उम्रदराज अमेरिकियों में संज्ञानात्मक गिरावट के बीच सापेक्ष सांख्यिकीय सहसंबंधों की जांच की गई है। अमेरिका में ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के हुई झेंग और सहयोगी ओपन-एक्सेस जर्नल पीएलओएस वन में अपने निष्कर्ष प्रकाशित करेंगे। अध्ययन पर नई रोशनी डालने के लिए झेंग और उनके सहयोगियों ने 1931 और 1941 के बीच पैदा हुए 7,068 अमेरिकी वयस्कों के डाटा का विश्लेषण किया है। इस दौरान नियमित रूप से 1996 से 2016 तक उनकी सोचने- समझने की क्षमता को मापा गया। व्यक्तिगत कारकों पर भी व्यापक जानकारी जुटाई गई जो संज्ञानात्मक गिरावट को बढ़ा सकती है, जैसे-सामाजिक आर्थिक कारक, शारीरिक स्वास्थ्य, व्यायाम और धूम्रपान।
अध्ययन में कई कारक सामने आए जो 54 वर्ष की उम्र में प्रतिभागियों के संज्ञानात्मक कार्य के स्तर में भिन्न्ता के 38 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार थे। कई पूर्व अध्ययनों के विपरीत इसमें यह पाया गया कि 54 से 85 वर्ष की उम्र में संज्ञानात्मक क्षमता बदलने में उम्र का 23 प्रतिशत ही हाथ था, शेष 77 प्रतिशत के लिए कई अन्य कारकों का भी हाथ था।