संयुक्त राष्ट्र संघ की जनरल असेंबली में इस्लामोफोबिया (इस्लाम से नफरत) के खिलाफ प्रस्ताव पास करने को लेकर वोटिंग हुई। ये प्रस्ताव चीन के सहयोग से पाकिस्तान लाया था। भारत इस वोटिंग में शामिल नहीं हुआ। पाकिस्तान ने इस्लामोफोबिया के जिक्र में सीएए और राम मंदिर का भी जिक्र किया।
UN में भारत की राजदूत रुचिरा कंबोज ने इसकी कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा- मेरे देश के मुद्दों पर इस डेलीगेशन के गलत विचार हैं। असेंबली में जब उस मुद्दे पर चर्चा कर रही है जिस पर गहराई से सोचने, समझदारी और बुद्धिमानी की जरूरत है, इस वक्त डेलीगेशन की ऐसी सोच ठीक नहीं है। युरोपीय देश स्वीडन में कुछ लोग लगातार कुरान जला रहे थे, इस पर पाकिस्तान ने इस्लामोफोबिया के खिलाफ प्रस्ताव लाने की घोषणा की थी।
UN में भारत ने कहा कि सिर्फ एक धर्म नहीं, बल्कि सभी धर्मों के नाम पर होने वाले हर भेदभाव की आलोचना की जानी चाहिए। चाहे यहुदी हों, मुस्लिम हों या ईसाई। रुचिरा ने ये भी कहा कि भेदभाव सिर्फ अब्रहाम से जुड़े धर्मों तक सीमित नहीं है। दशकों से सबूत इस बात की ओर इशारा करते हैं कि दूसरे धर्म भी भेदभाव और नफरत का शिकार हुए हैं। हिंदुओं, बौद्ध और सिक्खों से भी भेदभाव होता है।