प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय के संविधान को लेकर लिखे एक आर्टिकल पर राजनीति शुरू हो गई है। जेडीयू और आरजेडी ने बिबेक के आर्टिकल पर आपत्ति जताई है। जेडीयू के राष्ट्रीय सचिव राजीव रंजन ने कहा कि बिबेक ने कथन ने भाजपा और संघ की नफरत से भरी सोच को फिर सामने ला दिया है। भारत इस तरह की कोशिशें कभी स्वीकार नहीं करेगा। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बेहतर संविधान है। बिबेक देबरॉय चाटुकारिता कर रहे हैं। वो कभी आर्थिक नीतियों पर बात नहीं करते, लेकिन जिन मुद्दों पर जानकारी नहीं है उन मुद्दों पर बात करते हैं।
उधर, आरजेडी नेता और राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने कहा कि यह बात बिबेक की जुबान से कहलवाया गया है। ठहरे हुए पानी में कंकड़ डालो और अगर लहर उठने लगे तो दोबारा कंकड़ डालो। इसके बाद वे कहेंगे कि लोग उसकी मांग कर रहे हैं। संविधान में संशोधन करने में और पूरा संविधान बदलने में अंतर है। मोदी सरकार में देश में असमानता चरम पर है। ऐसे में विधान बदलने की जरूरत है न कि संविधान। बिबेक चाहते हैं- देश में ऐसा कानून बनाया जाए, जहां राजा के मुंह से निकला हर शब्द कानून बन जाए।
बिबेक देबरॉय ने न्यूज वेबसाइट द मिंट में 14 अगस्त 2023 को एक आर्टिकल लिखा था, जिसमें उन्होंने कहा- हमारा मौजूदा संविधान काफी हद तक साल 1935 के भारत सरकार अधिनियम पर आधारित है। 2002 में संविधान के कामकाज की समीक्षा के लिए गठित एक आयोग ने रिपोर्ट सबमिट की थी, लेकिन यह आधा-अधूरा प्रयास था। हमें पहले सिद्धांतों से शुरुआत करनी चाहिए जैसा कि संविधान सभा की बहस में हुआ था। साल 2047 के लिए भारत को किस संविधान की जरूरत है?