संबंध कभी भी सबसे जीतकर नहीं निभाए जा सकते। संबंधों की प्रसन्नता के लिए झुकना होता है। सहन करना होता है। दूसरों को जिताना होता है और खुद को हारना होता है। सच्चे संबंध ही वास्तविक पूंजी होते हैं। यही विषम परिस्थितियों में सहायक भी होते हैं। जब कभी ऐसी स्थिति आए की संबंध और लाभ में से कोई एक कोे चुनना पड़े तो हमे संबंध को पहली प्राथमिकता में रखना चाहिए। संबंध एक ऐसी पूंजी है तो अच्छा रहा तो आपका हर वक्त साथ दे सकता है और आप हर परस्थिति का हंस के मुकाबला और समाना कर सकते हैं।