प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुजरात के पंचमहल जिले में चांपानेर के पास स्थित प्राचीन महाकाली मंदिर पर ध्वज फहराएंगे। ऐतिहासिक महत्व के इस मंदिर के शिखर को 500 साल पहले सुल्तान महमूद बेगड़ा ने नष्ट कर दिया था। मंदिर के पास बनी दरगाह को दोनों समुदायों की सहमति से दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया गया, ताकि भव्य मंदिर बनाया जा सके। सौहार्दपूर्ण समझौते के कारण ही मां काली के 11वीं सदी के मंदिर का फिर गौरव वापस लौटा है। इस मंदिर का 125 करोड़ रुपये की लागत से पुनर्निर्माण किया गया है।
मंदिर के व्यवस्थापक अशोक पंड्या बताते हैं कि सुल्तान महमूद बेगड़ा ने मंदिर के शिखर को नष्ट कर दिया था। प्रधानमंत्री मोदी इस पुनर्निर्मित मंदिर का उद्घाटन करेंगे। वे नवनिर्मित शिखर पर पारंपरिक लाल झंडा भी फहराएंगे। पंड्या ने बताया कि दोनों समुदायों के बीच एक समझौता हुआ और दरगाह को मंदिर के नजदीक दूसरी जगह पर स्थानांतरित कर दिया गया। करीब 30 हजार वर्ग फीट में मंदिर का परिसर बनाया गया है। इसके पुनर्निर्माण पर 125 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इनमें से 15 करोड़ रुपये मंदिर ट्रस्ट की ओर से दिए गए।
यह मंदिर यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल चंपानेर-पावागढ़ पुरातत्व पार्क के भीतर स्थित है। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। मान्यता है कि ऋषि विश्वामित्र ने पावागढ़ में देवी कालिका की मूर्ति स्थापित की थी।
मंदिर के मूल शिखर को सुल्तान महमूद बेगड़ा ने चंपानेर पर आक्रमण के दौरान नष्ट कर दिया था। इसके बाद यहां एक मुस्लिम संत सदन शाह पीर की दरगाह बनाई गई। मंदिर पर झंडा फहराने के लिए कोई शिखर नहीं था। कई वर्षों तक यहां ध्वज नहीं फहराया जा सका था। कुछ साल पहले दरगाह संचालकों से दरगाह को अन्यत्र स्थानांतरित करने का अनुरोध किया गया, जिसे उन्होंने मान लिया। लोककथाओं के अनुसार, सदन शाह हिंदू थे, जिन्होंने बेगड़ा को खुश करने के लिए इस्लाम धर्म ग्रहण कर लिया था। यह भी माना जाता है कि सदन शाह ने मंदिर को पूर्ण विनाश से बचाने के लिए ही ऐसा किया था।