अयोध्या। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रामजन्मभूमि के 70 एकड़ का मानचित्र सार्वजनिक कर दिया है। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने अपने फेसबुक पेज पर 36 पेज का संपूर्ण निर्माण व विकास प्रारूप जारी किया है। इसमें मुख्य मंदिर सहित मंदिर परिसर में होने वाले अन्य प्रकल्पों के निर्माण की विस्तृत जानकारी दी है। राममंदिर निर्माण पर करीब 1100 करोड़ के खर्च का अनुमान लगाया जा रहा है। 15 दिन के अंदर नींव का काम शुरू होने की संभावना है। चंपत राय ने राममंदिर निर्माण को महा अनुष्ठान घोषित किया है। इसके प्रथम प्रारूप के निर्माण एवं विकास में मुख्य मंदिर, मंदिर परिसर, तीर्थक्षेत्र परिसर का विकास शामिल है जबकि दूसरे में धरोहर संवर्धन के तहत अयोध्या तीर्थक्षेत्र के संलग्न श्रद्धा केंद्र का विकास शामिल किया गया है। 36 पेज के प्रारूप में श्रीराम के विभिन्न स्वरूपों का भी वर्णन करते हुए भूमि पूजन का जिक्र है। पीएम मोदी, संघ प्रमुख मोहन भागवत, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष के भूमिपूजन के दौरान दिए गए भाषणों का भी जिक्र है। चंपत राय ने अपनी पोस्ट के जरिए जानकारी दी है कि राममंदिर के बहुस्तरीय अनुष्ठान का महाशंखनाद हो गया है। प्रस्तावित परिक्षेत्र में छह मंदिरों का प्रावधान है। लोहे का नहीं होगा इस्तेमाल : आगामी पचास वर्ष को ध्यान में रखते हुए योजनाओं का प्रारूप निर्धारित किया गया है। रामजन्मभूमि परिसर की निगरानी के लिए प्रत्येक कोण पर ऊंचा निरीक्षण स्तंभ भी बनाया जाएगा। उन्होंने राममंदिर निर्माण के विशिष्ट मानक की भी जानकारी दी है। जिसके तहत राममंदिर का पूरा निर्माण लौहरहित होगा।
दशरथ, कौशल्या सहित गुरू वशिष्ठ व वाल्मीकि के नाम पर होंगे प्रकल्प
रामजन्मभूमि परिसर में जिन प्रकल्पों का निर्माण किया जाना है। उनके नाम भगवान श्रीराम, सीता, लक्ष्मण सहित उनके पिता राजा दशरथ, माता कौशल्या, गुरू वशिष्ठ, महर्षि वाल्मीकि सहित लवकुश के नाम पर होंगे। श्रीरामकुंड में यज्ञशाला, कर्मक्षेत्र अनुष्ठान मंडप में हनुमानगढ़ी जिसमें वीर मारूति की विशाल प्रतिमा स्थापित होगी।
श्रीरामलला पुराकालिक दर्शनमंडल प्रकल्प में जन्मभूमि संग्रहालय होगा जिसमें उत्खनन में प्राप्त शिलालेखों एवं पुरावशेषों की प्रदर्शनी होगी। श्रीरामकीर्ति में सत्संग भवन सभागार, गुरू वशिष्ठ पीठिका में वेद, पुराण, रामायण एवं संस्कृत अध्ययन-अनुसंधान अनुक्षेत्र, भक्तिटीला में ध्यान एवं मनन निकुंज, तुलसी प्रकल्प में रामलीला केद्र, 360 डिग्री थियेटर, रामदरबार में प्रोजेक्शन थियेटर, माता कौशल्या वात्सल्य मंडप में प्रदर्शनी कक्ष, झांकियों का परिसर, रामांगण में बहुआयामी चलचित्रशाला, रामायण प्रकल्प में आधुनिक सुविधा संपन्न पुस्तकालय, ग्रंथागार एवं वाचनालय होगा। जबकि महर्षि वाल्मीकि प्रकल्प में अभिलेखागार एवं अनुसंधान केंद्र, श्री दशरथ आदर्श गौशाला, लक्ष्मण वाटिका व लव कुश निकुंज भी परिसर को भव्यता प्रदान करेंगे। भरत प्रसाद मंडप में भगवान का भोग प्रबंधन होगा, माता सीता रसोई में अन्नक्षेत्र का संचालन किया जाएगा।
बलिदानी हुतात्माओं की स्मृति में भव्य स्मारक भी होगा। तीर्थयात्रियों की सुविधा के विशेष इंतजाम भी किए जाएंगे। जिसमें अमानती कक्ष, सौर ऊर्जा पटल, जनरेटर, ऊर्जा उत्पादन केंद्र, स्वाचलित सीढिय़ां, लिफ्ट, आपातकालीन चिकित्सा सहायता केंद्र आदि होंगे।
परिसर स्थित पांच धरोहरों का होगा संरक्षण
श्रीरामजन्मभूमि परिसर स्थित पांच प्राचीन धरोहरों का भी संरक्षण किया जाएगा। परिसर स्थित शेषावतार मंदिर 1992 में बनाया गया था वास्तु के अनुसार इसके दक्षिण पश्चिम कोने को ऊंचा रखा गया और लक्ष्मण जी के मंदिर की कल्पना की गई। कुबेर नवरत्न टीला दक्षिण दिशा में है जहां शिवमंदिर था। जबकि नल टीला दक्षिण पूर्व दिशा व अंगद टीला मुख्य मंदिर के दक्षिण पूर्व दिशा में स्थित है। सीता कूप जन्मभूमि के पूर्व दिशा में हैं जहां आज भी श्रद्घालु जल लेने आते हैं। इन पौराणिक धरोहरों को ट्रस्ट संरक्षित करेगा
57400 वर्गफीट में होगा कुल निर्माण
राममंदिर निर्माण में प्राकृतिक प्रौद्योगिकी का प्रयोग होगा। जलनिकायों का निर्माण व संरक्षण की व्यवस्था होगी। प्राकृतिक सामग्री का अधिकतम उपयोग किया जाएगा। अपशिष्ट पदार्थ का समुचित प्रबंधन व समुचित प्रकाश व्यवस्था होगी। भूमिगत जल प्रबंधन भी बेहतर होगा। परिसर में बनने वाले भवनों का निर्माण पर्यावरण मानकों के अनुसार होगा। कलाकृतियों, धरोहरों का संरक्षण भी किया जाएगा।
राममंदिर में होंगे पांच शिखर व 12 द्वार : पोस्ट में चंपत राय ने 70 एकड़ के भौगोलिक स्वरूप की जानकारी दी है। मंदिर में कुल पांच शिखर और 12 द्वार होंगे। जिसके तहत 2.7 एकड़ में मुख्य मंदिर का निर्माण होगा। मंदिर का कुल निर्मित क्षेत्र 57400 वर्गफीट होगा। मंदिर में कुल पांच मंडप होंगे।
लंबाई 360 फीट व चौड़ाई 235 फीट होगी। मंदिर की शिखर सहित ऊंचाई 161 फीट तय है। मंदिर में कुल तीन तल होंगे, प्रत्येक तल की ऊंचाई 20 फीट होगी। मंदिर के भूतल में स्तंभों की संख्या 160, प्रथम तल में स्तंभों की संख्या 132 व दूसरे तल में 74 स्तंभ होंगे।