रायपुर। छत्तीसगढ़ में देवी के सिद्धांदिर हैं। उनमें से एक है रतनपुर का महामाया मंदिर। ऐसा कहा जाता है की यहां जो मांगो वो मुराद पूरी होती है। इस स्थल को माता के 51 शक्तिपीठों में शामिल किया गया है।
छत्तीसगढ़ में बिलासपुर से २५ किलोमीटर की दूरी पर स्थित आदिशक्ति मां महामाया देवी की पवित्र पौराणिक नगरी रतनपुर का इतिहास प्राचीन एवं गौरवशाली है। त्रिपुरी के कलचुरियों की एक शाखा ने रतनपुर को अपनी राजधानी बनाकर दीर्घकाल तक छत्तीसगढ़ में शासन किया।
माना जाता है कि सती की मृत्यु से व्यथित भगवान शिव उनके मृत शरीर को लेकर तांडव करते हुए ब्रह्मांड में भटकते रहे। इस समय माता के अंग जहां-जहां गिरे, वहीं शक्तिपीठ बन गए। इन्हीं स्थानों को शक्तिपीठ रूप में मान्यता मिली। महामाया मंदिर में माता का दाहिना स्कंध गिरा था। भगवान शिव ने स्वयं आविर्भूत होकर उसे कौमारी शक्ति पीठ का नाम दिया था। इसीलिए इस स्थल को माता के 51 शक्तिपीठों में शामिल किया गया। यहां प्रात: काल से देर रात तक भक्तों की भीड़ लगी रहती है। माना जाता है कि नवरात्र में यहां की गई पूजा निष्फल नहीं जाती। आप अगर रतनपुर जाना चाहते हैं तो बस, या खुद की टैक्सी और ट्रेन से भी जा सकते हैं।