रावण को आमतौर बुराई का प्रतीक मानकर उसका पुतला जलाया जाता है। मगर मध्य प्रदेश के मंदसौर के लोग रावण को अपना दामाद मानता हैं। मान्यता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी यहीं की रहने वाली थी। यहां साल भर रावण की पूजा की जाती है। हालांकि यहां दशहरे पर प्रतीकात्मक वध किया जाता है।
मंदसौर के खानपुरा इलाके में 41 फीट ऊंची रावण की प्रतिमा लगी है। इस प्रतिमा का इतिहास 400 साल पुराना है। पहले दो बार प्रतिमा क्षतिग्रस्त हो चुकी है। इसके बाद 2005 में स्थानीय प्रशासन ने यहां तीसरी बार प्रतिमा का जीर्णोद्धार कराया। मान्यता है कि मंदोदरी को शहर की बेटी है। इसी मान्यता के अनुसार रावण यहां का दामाद है। यही कारण है कि इस शहर की महिलाएं रावण की प्रतिमा के सामने से गुजरते समय घूंघट निकाल लेती हैं।
इसके बावजूद दशहरे पर सुबह लोग ढोल-बाजे से साथ जाकर प्रतिमा की पूजा-अर्चना करते हैं, वहीं शाम को गोधुलि वेला में रावण का प्रतीकात्मक वध किया जाता है। वध के बाद महिलाएं रावण की प्रतिमा पर प्रतीकात्मक रूप से पत्थर भी मारे जाते हैं। किसी को बुखार आने पर रावण की प्रतिमा के पैर में लच्छा (पूजा का धागा) बांधा जाता है। उनकी ( मान्यता है कि ऐसा करने से बीमारी ठीक हो जाती है। संतान प्राप्ति के लिए भी लोग रावण की पूजा करते हैं।