शोधकर्ताओं ने कैंसर व अन्य रोगों के इलाज की एक नई रासायनिक तकनीक का पता लगाया है। शोध निष्कर्ष ‘जर्नल आफ मेडिसिनल केमिस्ट्री” में प्रकाशित हुआ है। ब्रिटेन स्थित लीसेस्टर इंस्टीट्यूट आफ स्ट्रक्चरल एंड केमिकल बायोलाजी के सदस्यों ने कैंसर के लिए जिम्मेदार प्रोटीन के प्रभाव को कम करने के लिए प्रोटियोलिसिस टार्गेटिंग चिमेरस (प्रोटैक) का पुल के रूप में इस्तेमाल किया। नए अध्ययन ने बताया कि किस प्रकार लीसेस्टर के शोधकर्ताओं ने प्रोटीन के प्रभाव को कम करने वाली पूर्व वर्णित तकनीक का इस्तेमाल किया, जिसे प्रोटैक के नाम से जाना जाता है। विज्ञानियों ने इस तकनीक के जरिये पहले से कहीं अधिक लक्षित तरीके से हिस्टोन डीएसेटाइलेश्ान एंजाइम (एचडीएसीएस) के असर को भी कम किया। एचडीएसीएस जीन के नियमन में अहम भूमिका निभाता है और यह बीमारियों की श्रृंखला से भी संबंधित है। इनमें कैंसर व अल्जाइमर जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियां शामिल हैैं। कैंसर कोशिकाओं के भीतर विशिष्ट संरचनाओं को लक्षित करने के लिए इस अग्रणी तकनीक के उपयोग से नई व मौजूदा दवाओं की क्षमता और चयनात्मकता बढ़ सकती है। इसका मतलब है कि मरीजों के इलाज के लिए कम दवाओं की जरूरत पड़ेगी और उन्हें दवाओं के दुष्प्रभाव का खतरा भी कम रहेगा। समूह को इस तकनीक के लिए यूरोपीय पेटेंट कार्यालय से पेटेंट भी मिल चुका है।