ओलिंपिक में ब्रान्ज मेडल जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे भारतीय हाकी टीम के स्टार ड्रैग फ्लिकर रुपिंदर पाल सिंह ने अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया। इंटरनेट मीडिया के माध्यम से उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि अब नए और युवा खिलाडियों को खेलने का मौका मिले। साल 2010 में टीम इंडिया में डेब्यू करने वाले रुपिंदर सबसे कामयाब ड्रैग फ्लिकर्स में शुमार हैं।
रुपिंदर ने महत छह साल की आयु में पंजाब के फिरोजपुर में शेरशाह वली हाकी अकेडमी में ट्रेनिंग शुरुआत की थी और शीर्ष तक का सफर तय किया। साल 2002 में वह चंडीगढ़ हाकी अकेडमी के लिए खेलने लगे थे। वह 2010 में भारतीय टीम का हिस्सा बने। उन्होंने 2010 में सुल्तान अजलान शाह कप के दौरान डेब्यू किया था। टीम इंडिया को इस टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल मिला था। इस टूर्नामेंट में रुपिंदर ने ब्रिटेन के खिलाफ पहली हैट्रिक लगाई थी। यह हैट्रिक उनके करियर को आगे बढ़ाने में काफी सहायक साबित हुई।
रुपिंदर कहा कि भारतीय हॉकी टीम से रिटायर होने का फैसला किया है। पिछले दो महीने निसंदेह मेरे जीवन के बेहतरीन दिन रहे हैं। मेरे साथियों के साथ टोक्यो में पोडियम पर खड़े होना एक ऐसा अविश्वसनीय अनुभव है, जिसे हमेशा याद रखूंगा। अब युवा और प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को जगह देने का मौका आ गया है जिससे कि वे भी उस अनुभव को जी सके। 223 मैच में भारत की जर्सी पहनने का मुझे सम्मान मिला और इनमें से हरेक मैच मेरे लिए स्पेशल रहा।